DELHI-NCR में ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल, OLA-UBER की सेवाएं भी ठप
DELHI-NCR में ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल, OLA-UBER की सेवाएं भी ठप
- ट्रैफिक नियम संशोधन अधिनियम के विरोध में हो रही है हड़ताल
- दिल्ली-एनसीआर में ओला-उबर समेत अन्य टैक्सी सुविधाएं ठप
- यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन समेत 41 संगठन हड़ताल पर
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। DELHI-NCR में यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (UFTA) समेत 41 संगठन आज (गुरुवार) हड़ताल पर है। ये हड़ताल संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट के विरोध में की जा रही है। वहीं देशभर में लगातार इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। इस हड़ताल के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर में लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान दिल्ली में ओला-उबर समेत सभी टैक्सी सुविधाएं बंद है। इसके अलावा लोकल बसें भी नहीं चलेंगी। हालांकि हड़ताल की स्थिति में दिल्ली-एनसीआर के लोग मेट्रो की सवारी कर अपने गंतव्य स्थल तक पहुंच सकते हैं।
ट्रांसपोर्ट यूनियन के मुताबिक एनसीआर में गुरुवार को चक्का जाम रहने के कारण ऑटो, टैक्सी, आप. टी. वी., निजी स्कूल बस, मैक्सी कैब, ओला व उबर में चलने वाली गाड़ियां, एस. टी. ए. के तहत चलने वाली क्लस्टर बसें, ग्रामीण सेवा, छोटे ट्रक और टैम्पो समेत बड़े व्यवसायिक वाहनों की 41 यूनियन ने कल सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक सड़कों पर न उतरने का ऐलान किया है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर से नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद, बहादुरगढ़, पानीपत, मेरठ तक जाने वाली करीब 25000 कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें भी नहीं चलेंगी। इसका असर मेट्रो-डीटीसी की बसों में नजर आना लाजिमी है, जहां भीड़ बढ़ सकती है।
बता दें कि दिल्ली में 90 हजार से ज्यादा ऑटो और करीब 10 हजार काली-पीली टैक्सियां चलती हैं। ऑटो- टैक्सी की प्रमुख यूनियन इस हड़ताल के समर्थन में आ गई है। इसके अलावा दिल्ली में 900 आरटीवी, 6153 ग्रामीण सेवा, 600 से ज्यादा इको फ्रेंडली गाड़ियां, 700 फटफट सेवा, 141 मैक्सी कैब चलती हैं। इस हड़ताल का असर इन गाड़ियों पर भी नजर आ रहा है।
ये हैं यूएफटीए की मांगें
सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर यूएफटीए ने एक दिन का सांकेतिक चक्का जाम करने का निर्णय लिया है। इस संगठन की मांग है कि मोटर वहीकल एक्ट 2019 संशोधन बिल में बढ़े हुए चालान की रकम को वापस लिया जाए। इसके साथ ही संगठन इनकम टैक्स के एक्ट 44 एई को लेकर और वाहन बीमा में पांच लाख रुपए तक ही इंश्योरेंस कंपनियों को पेमेंट करने के आदेश के खिलाफ है।