भारत व कनाडा के संबंधों के बीच एक बड़ी बाधा है खालिस्तान का मुद्दा
देश-दुनिया भारत व कनाडा के संबंधों के बीच एक बड़ी बाधा है खालिस्तान का मुद्दा
डिजिटल डेस्क, टोरंटो। सितंबर और नवंबर में हुआ खालिस्तान जनमत संग्रह 2022 में भारत-कनाडा संबंधों में एक बड़ी बाध बन गया। भारत ने जनमत संग्रह को अतिवादियों और कट्टरपंथी तत्वों द्वारा आयोजित हास्यास्पद अभ्यास कहा और कनाडा से इस मामले में कार्रवाई करने के लिए कहा। एक एडवाइजरी में भारत सरकार ने कनाडा जाने वाले भारतीयों से वहां भारत विरोधी हिंसा की संभावना के बारे में सतर्क रहने का आग्रह किया।
कनाडा ने कहा कि वह भारत की अखंडता का समर्थन करता है, लेकिन वह जनमत संग्रह को नहीं रोकेगा, क्योंकि उसके नागरिक विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं।
हालांकि ओटावा भारत को महत्व देने की कोशिश कर रहा है, जैसा कि हाल ही में घोषित भारत-प्रशांत रणनीति में रेखांकित किया गया है, जिसमें भारत को कनाडा का एक महत्वपूर्ण भागीदार कहा गया है।
नाम न छापने का अनुरोध करते हुए एक ब्रैम्पटन-आधारित इंडो-कनाडाई नेता ने कहा, हालांकि कोई भी कनाडा के रुख से सहमत हो सकता है कि यह स्वतंत्र अभिव्यक्ति को नहीं रोक सकता है, तथ्य यह है कि खालिस्तानी गतिविधियां भारत के आंतरिक मामलों में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप हैं, क्योंकि अधिकांश खालिस्तानी तत्व अब कनाडा के पासपोर्ट वाले कनाडाई नागरिक हैं। भारत के लिए वे विदेशी हैं और कनाडा को उन पर लगाम लगानी चाहिए।
शीर्ष भारतीय कनाडाई राजनेता और कनाडा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री उज्जल दोसांझ को लगता है कि खालिस्तान आंदोलन वस्तुत: खत्म चुका है, लेकिन कनाडा में कुछ तत्व पाकिस्तान के समर्थन से इसे जीवित रखने की कोशिश कर रहे हैं।
कनाडा में खालिस्तानियों के घोर आलोचक रहे दोसांझ ने कहा, मेरा मानना है कि खालिस्तान आंदोलन लगभग खत्म हो चुका है। अब यह पाकिस्तान द्वारा इन तत्वों का समर्थन करके इसे जीवित रखने के बारे में अधिक है।
उनका कहना है कि इस मरणासन्न आंदोलन में ये तत्व लाइमलाइट में बने रहने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
दोसांझ कनाडा में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों पर भारत के बयानों की भी आलोचना करते हुए कहते हैं कि ये बयान खालिस्तानी तत्वों के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जो प्रवासी भारतीयों का एक बहुत छोटा हिस्सा हैं।
दोसांझ ने कहा, मामले को गंभीरता से लेकर भारत इस मृतप्राय आंदोलन में जान डाल रहा है। यही खालिस्तानी तत्व चाहते हैं।
हालांकि ब्रैम्पटन में रहने वाले वरिष्ठ पंजाबी पत्रकार बलराज देओल का कहना है कि भारत को इस मुद्दे पर अपना रुख सख्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा, खालिस्तान का मुद्दा भारत और कनाडा के बीच हमेशा एक परेशानी बना रहेगा।
(आईएएनएस)।
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