बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त हुआ गुवाहाटी हाईकोर्ट राज्य सरकार को लगाई फटकार, कहा लोकतंत्र में पुलिस को किसने दिया ये अधिकार
असम बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त हुआ गुवाहाटी हाईकोर्ट राज्य सरकार को लगाई फटकार, कहा लोकतंत्र में पुलिस को किसने दिया ये अधिकार
- राज्य सरकार से जवाब मांगा
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बुलडोजर चलाने के एक मामले में असम सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसा कोई कानून बताए, जिसके अंतर्गत पुलिस ने जांच के दौरान आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाया। आपको बता दें हाईकोर्ट ने बुलडोजर से घर ढहाने की कार्रवाई को स्वत: संज्ञान में लिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार से अगली तारीख तक जवाब देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में जांच के नाम पर ऐसी कार्रवाईयों को अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था को काबू रखने के लिए यह तरीका उचित नहीं ठहराया जा सकता। सरकार किसी व्यक्ति के अपराध को लेकर मुकदमा चला सकती है। लोकतंत्र में अपराध के लिए पुलिस को किसी के घर पर बुलडोजर चलाने का अधिकार किसने दिया?"" अब इस मामले पर अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी
एबीपी खबर के मुताबिक गुरुवार (17 नवंबर) को गुवाहाटी होईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया और न्यायमूर्ति सौमित्र साइकिया ने पुलिस अधीक्षक की ओर से पांच आरोपियों के घरों को बुलडो़र ढहाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। आपको बता दें जिन आरोपियों के घरों को तोड़ा गया उन पर एक पुलिस थाने में आग लगाने का आरोप है।
न्यूज पोर्टल बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार के वकील ने एसपी की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर एक रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी. इस पर कोर्ट ने सरकार के वकील से कहा, ""आप (राज्य सरकार) हमें कोई आपराधिक कानून दिखाएं, जिसके तहत अपराध की जांच करते हुए बिना किसी आदेश के पुलिस बुलडोजर से किसी व्यक्ति को उखाड़ सकती है."" इस पर सरकार के वकील ने स्पष्ट करने का प्रयास किया कि यह कार्रवाई किसी व्यक्ति को उखाड़ने के लिए नहीं थी।
मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि आपके उच्चाधिकारियों को भी कानून के दायरे से गुजरने की जरूरत है। वे पुलिस विभाग के प्रमुख हैं, केवल इसलिए किसी का घर नहीं तोड़ सकते, अगर इस तरह की कार्रवाई की इजाजत दी जाती है तो इस देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
आपको बता दें एसपी ने उन पांच मुस्लिम आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया था, जिन पर नगांव जिले बटाद्रवा पुलिस थाने में आगजनी की थी। इस घटना में गांव के एक आदमी की जान चली गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि पुलिस ने कार्रवाई करने से पहले क्या कोई अनुमति ली थी? इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि घर की तलाशी के लिए अनुमति ली थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे सीमित करियर में मैंने ऐसा मामला नहीं सुना कि तलाशी वारंट के दौरान बुलडोजर चलाई गई हो।बैंच ने आगे कहा कि पुलिस केवल जांच की आड़ में किसी को उसके घर से नहीं उखाड़ सकती है। बेंच ने कहा, ""कल कोई व्यक्ति इस कोर्टरूम में जबरन घुस आता है तो आप उसे बाहर निकालेंगे या उस कुर्सी को उखाड़ने लगेंगे, जिस पर वह बैठा हुआ है? ऐसा मामला नहीं सुना। हाइकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को गैंगवार बताया।