1971 का युद्ध दुनिया के सबसे निर्णायक युद्धों में गिना जाएगा

रक्षामंत्री राजनाथ ने दिया बयान 1971 का युद्ध दुनिया के सबसे निर्णायक युद्धों में गिना जाएगा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-12 16:48 GMT
1971 का युद्ध दुनिया के सबसे निर्णायक युद्धों में गिना जाएगा
हाईलाइट
  • पाकिस्तान का जन्म एक मज़हब के नाम पर हुआ मगर वह एक नहीं रह सका

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। युद्ध की 50वी वर्षगांठ के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वर्णिम विजय पर्व समारोह का उद्घाटन रविवार को इंडिया गेट स्थान पर किया। जिसमें उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ प्रत्यक्ष युद्ध जीते हैं और अब परोक्ष युद्ध भी जीतेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान भारत से युद्ध में शिकस्त खाने के बाद अब आघोषित युद्ध कर रहा है और आंतकवाद तथा अन्य गतिविधियों के जरिए भारत के शांतिपूर्ण माहौल में व्यवधान पैदा करना चाहता हैं।

जानें भारत पाकिस्तान के बारें में

गौरतलब है कि भारत व पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर 1971 में युद्ध की शुरुआत हुई थी। उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति याह्या खान थे। उन्होंने 23 नवंबर को अपनी वायु सेना से युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहा, जिसमें भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया गया था । जिसमें भारत ने पाकिस्तान को ऐसी शिकस्त दी जिसे वह कभी नहीं भुला सकता। युद्ध पाक की सेना के आत्मसमर्पण कर देने पर 16 दिसंबर 1971  को समाप्त हुआ । जिसमें पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए एक पश्चिमी पाकिस्तान का तो दुसरा पूर्वी पाकिस्तान के रुप में उभरे। इस युद्ध से एक नया देश बांग्लादेश का जन्म हुआ।

भारत-पाक के बीच युद्ध का क्या कारण था ?

बता दें कि पूर्वी पाकिस्तान की स्वायता के लिए शेख मुजीबुर रहमान शुरु से संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने इसके लिए छ: सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की जिसके कारण वह पाकिस्तान शासन की आँख की किरकिरी बन गए थे। कुछ अन्य बंगाली नेता भी शासन के खिलाफ बगावत कर रहे थे। इन सब को हमेशा के लिए दबाने के लिए पाक शासन ने मुजीबुर रहमान और अन्य बंगाली नेताओं पर अलगाववादी आंदोलन के लिए मुकदमा चलाया लेकिन पाक शासन की यह चाल खुद पर मुसीबत आ पड़ी। मुजीबुर रहमान लोगों के लिए हीरों बन गए और पाक शासन को मुकदमा वापस लेना पड़ा। पाक में 1970 का चुनाव बांग्लादेश के अस्तित्व का कारण बना।

क्योंकि इस चुनाव में मुजीबुर रहमान की पार्टी- पूर्वी पाकिस्तानी आवामी लीग ने जबरदस्त जीत हासिल की जिसके कारण पाक में विद्रोह हो गया अब पाक सेना ने अत्याचार को रास्ता अपनाया कई लोगों का नर संहार किया। कई महिलाओं की हत्या एंव रेप किए गए। 1 करोड़ शरणार्थी पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। भारत सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए पूर्वी पाकिस्तान की सेना मुक्तिवाहिनी को प्रशिक्षण एंव मदद दी। भारतीय सेना ने पाक की सेना को आत्मसमर्पण करवाया और बांग्लादेश के उदय के साथ 16 दिसंबर 1971 को युद्ध का अंत हुआ।


 

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