भारत-चीन के बीच 9वें दौर की वार्ता, भारतीय सेना ने कहा- दोनों देश जल्द कम करेंगे फ्रंट लाइन सैनिक
भारत-चीन के बीच 9वें दौर की वार्ता, भारतीय सेना ने कहा- दोनों देश जल्द कम करेंगे फ्रंट लाइन सैनिक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा गतिरोध को हल करने के लिए रविवार को 9वें दौर की वार्ता हुई। ये बैठक करीब 11 घंटों तक चली। इसकी जानकारी देते हुए भारतीय सेना ने कहा कि ये वार्ता सकारात्मक रही और दोनों पक्षों ने डिसएंगेजमेंट पर सहमति व्यक्त की।
भारतीय सेना की तरफ से कहा गया- दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि इस बार की बैठक पॉजिटिव, प्रैक्टिल और कंस्ट्रक्टिव रही। इससे आपसी विश्वास बहाली और समझ को बढ़ाने में मदद मिलेगी। दोनों पक्ष जल्द अग्रिम ठिकानों से सैनिकों को जल्द वापस बुलाने पर भी सहमत हुए। दोनों देश जल्द से जल्द 10वें दौर की बैठक बुलाने पर भी सहमत हुए हैं।
बता दें कि लगभग दो महीने के बाद भारत और चीन के मिलिट्री कमांडरों के बीच यह मीटिंग चीनी सीमा रेखा में स्थित मोल्डो में हुई है। मोल्डो भारत में स्थित चुशूल सेक्टर के ठीक विपरित में चीनी सीमा में स्थित है। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। चीनी पक्ष की अगुवाई पीपुल्स लिबरल आर्मी (पीएलए) के दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने की।
सैन्य वार्ता का आठवां और अंतिम दौर 6 नवंबर को आयोजित किया गया था। इस दौरान दोनों पक्षों ने व्यापक रूप से स्पेसफिक फ्रिक्शन पॉइंट से सैनिकों के डिसएंगेजमेंट पर चर्चा की। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-आधारित 14 कॉर्प के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया था। इससे पहले कॉर्प्स कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी। इस दौरान चीन पेंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास कई सामरिक ऊंचाइयों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए दबाव बना रहा था।
बता दें कि लद्दाख इलाके में अभी लगभग 50,000 भारतीय सैनिक तैनात है। दोनों देशों की सेनाएं अप्रैल-मई से आमने-सामने हैं। पैंगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे।
चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। 45 साल बाद 7 सितंबर को पहला मौका था जब दोनों ही देशों के सैनिकों के बीच गोली भी चली थी। दोनों देश लंबे समय से बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझानें की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका है।