अयोध्या मामले में आज पूरी हो सकती है सुनवाई, CJI ने दिए संकेत
अयोध्या मामले में आज पूरी हो सकती है सुनवाई, CJI ने दिए संकेत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई पूरी होने की संभावना है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने इसके संकेत दिए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि बुधवार दोपहर लंच के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर बहस हो जाए। मुस्लिम पक्ष के वकील को एक घंटे और हिंदू पक्ष के वकील को 45 मिनट मिलेगा। वहीं, चारों हिंदू पक्षकारों को 45-45 मिनट समय दिया गया है।
मंगलवार को सुनवाई के 39वें दिन हिंदू पक्ष के वरिष्ठ वकील के पाराशरण ने कहा कि बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनाकर बाबर ने ऐतिहासिक भूल की है। ऐसा करके बाबर ने खुद को सभी नियम-कानून से ऊपर मान लिया। इस भूल को सुधारे जाने की जरूरत है। अयोध्या में कई मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम नमाज अदा कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम के जन्मस्थान यानी अयोध्या को नहीं बदल सकते।
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा- क्या आप बता सकते हैं कि अयोध्या में कितने मंदिर है? पाराशरण ने कहा कि मैंने अपना तर्क भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर दिया था। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में 4-5 नवंबर को फैसला सुना सकता है।
बता दें कि इलहाबाद हाईकोर्ट ने चार अलग-अलग सिविल केस पर फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सभी तीन पक्षों, सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान, के बीच समान बंटवारे को कहा था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। बेंच के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायामूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले को पहले मध्यस्थता से हल करने की कोशिश की थी। 8 मार्च 2019 को जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में 3 सदस्यों की एक समिति भी गठित की गई थी। सुप्रीम कोर्ट चाहता था, समिति आपसी समझौते से सर्वमान्य हल निकाले। इस समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल थे।
समिति ने बंद कमरे में संबंधित पक्षों से बात की लेकिन हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने सुप्रीम कोर्ट के सामने निराशा व्यक्त करते हुए लगातार सुनवाई की गुहार लगाई। 155 दिन के विचार-विमर्श के बाद मध्यस्थता समिति ने रिपोर्ट पेश की और कहा, वह सहमति बनाने में सफल नहीं हुए हैं। जिसके बाद कोर्ट ने रोजाना सुनवाई शुरू की।