राकेश अस्थाना की नियुक्ति को कोर्ट में चैलेंज किया गया, केंद्र ने कहा- ये तथाकथित अखंडता बनाए रखने वालों का बिजनेस
Asthana’s appointment राकेश अस्थाना की नियुक्ति को कोर्ट में चैलेंज किया गया, केंद्र ने कहा- ये तथाकथित अखंडता बनाए रखने वालों का बिजनेस
- अब 24 अगस्त को होगी मामले की सुनवाई
- राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने से जुड़ी याचिका
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र ने बुधवार को दिल्ली के पुलिस आयुक्त के रूप में आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने पर आपत्ति जताई। केंद्र ने तर्क दिया कि हर एक अपॉइंटमेंट को चुनौती देना तथाकथित अखंडता बनाए रखने वालों का बिजनेस बन गया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने याचिकाकर्ता सदरे आलम की और से दायर इस याचिका पर सुनवाई की। इस मामले की पर 24 अगस्त को सुनवाई होगी।
सदरे आलम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा, "क्या ऐसा कोई मामला किसी अन्य अदालत के समक्ष लंबित है?" एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने कहा कि उनकी जानकारी में अभी तक किसी भी अन्य अदालत में ऐसी कोई याचिका लंबित नहीं है। केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन ने भी कोर्ट को बताया कि विभाग को इसकी जानकारी नहीं है। अदालत ने वकील से इसका पता लगाने को कहा और कहा कि वह अगले सप्ताह सुनवाई जारी रखेगी। इस दौरान आलम की ओर से पेश वकील बी एस बग्गा ने अदालत से याचिका पर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया। हालांकि अदालत ने कहा, "नहीं, नहीं। हमे अभी इसमें हर चीज पढ़नी है। हम देखेंगे।"
बीएस बग्गा के माध्यम से दायर याचिका में अधिवक्ता आलम ने तर्क दिया है कि गृह मंत्रालय का निर्णय प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के जारी निर्देशों और ऑल इंडिया सर्विस ऑफिसर्स के डेप्यूटेशन के संबंध में पॉलिसी का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि अस्थाना के पास मिनिमम रेसिड्यूअल टेन्योर नहीं है। दिल्ली पुलिस कमीश्नर की नियुक्ति के लिए कोई यूपीएससी पैनल नहीं बनाया गया था। दो साल के न्यूनतम कार्यकाल के क्राइटेरिया को नजरअंदाज कर दिया गया है।
1984 के गुजरात-कैडर के अधिकारी और बीएसएफ के पूर्व डीजी अस्थाना को 27 जुलाई को AGMUT कैडर में प्रतिनियुक्त किया गया था। उन्हें उनके रिटायरमेंट की तारीख 31 जुलाई से एक वर्ष की अवधि के लिए सेवा का विस्तार दिया गया था। सेवानिवृति से महज चार दिन पहले 27 जुलाई को उन्हें दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त कर दिया गया था।