यूएनएससी की बैठक में बोले पीएम मोदी-समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन, पांच मूल सिद्धांत बताए

UNSC Meeting यूएनएससी की बैठक में बोले पीएम मोदी-समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन, पांच मूल सिद्धांत बताए

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-09 12:58 GMT
हाईलाइट
  • ऐसा करने वाले वह भारत के पहले प्रधानमंत्री
  • पीएम मोदी ने कहा कि समंदर हमारी साझा धरोहर
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल हुए पीएम मोदी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बतौर अध्यक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद  (UNSC) की बैठक में शामिल हुए। ऐसा करने वाले वह भारत के पहले प्रधानमंत्री है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि समंदर हमारी साझा धरोहर है। हमारे समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन है और सबसे बड़ी बात ये है कि समंदर हमारे प्लेनेट के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पीएम ने समुद्री रास्तों के दुरुपयोग पर चिंता जताई।

पीएम मोदी ने कहा कि पाइरेसी और आतंकवाद के लिए समुद्री रास्तों का दुरुपयोग हो रहा है। कई देशों के बीच समुद्री सीमा विवाद हैं। क्लाइमेट चेंज और प्राकृतिक आपदाएं भी इसी डोमेन से जुड़े विषय हैं। इस व्यापक संदर्भ में अपनी साझा सामूहिक धरोहर के संरक्षण और उपयोग के लिए हमें आपसी समझ और सहयोग का एक फ्रेमवर्क बनाना चाहिए।

पीएम ने कहा कि मैं आप के समक्ष पांच मूल सिद्धांत रखना चाहूंगा।

पहला सिद्धांत: हमें लेजिटिमेट मरीनटाइम ट्रेड से बैरियर हटाने चाहिए। हम सभी की समृद्धि मरीनटाइम ट्रेड के सक्रिय फ्लो पर निर्भर है। इसमें आई अड़चनें पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हो सकती हैं। 

दूसरा सिद्धांत: मरीनटाइम डिस्प्यूट का समाधान शांतिपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर ही होना चाहिए। आपसी ट्रस्ट और कॉन्फिडेंस के लिए यह अति आवश्यक है। इसी माध्यम से हम वैश्विक शान्ति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं। 

तीसरा सिद्धांत: हमें प्राकृतिक आपदाओं और नॉन स्टेट एक्टर द्वारा पैदा किए गए मरीनटाइम थ्रेट का मिल कर सामना करना चाहिए। इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने कई कदम लिए हैं। 

चौथा सिद्धांत: हमें मरीनटाइम एनवायरनमेंट और मरीनटाइम रिसोर्सेज को संजो कर रखना होगा। जैसा कि हम जानते हैं, ओशन का क्लाइमेट पर सीधा इंपैक्ट होता है। इसलिए, हमें अपने मरीनटाइम एनवायरनमेंट को प्लास्टिक और ऑइल जैसे प्रदूषण से मुक्त रखना होगा।

पांचवा सिद्धांत: हमें रिस्पॉन्सिबल मरीनटाइम कनेक्टिविटी को प्रोत्साहन देना चाहिए। ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के डेवलपमेंट में देशों की फिस्कल सस्टेनिबिलिटी और एब्जॉप्शन कैपेसिटी को ध्यान में रखना होगा।

Tags:    

Similar News