AN-32 में सवार सभी 13 जवान और अफसर शहीद, एयरफोर्स ने की पुष्टि, ब्लैक बॉक्स भी बरामद

AN-32 में सवार सभी 13 जवान और अफसर शहीद, एयरफोर्स ने की पुष्टि, ब्लैक बॉक्स भी बरामद

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-13 11:53 GMT
AN-32 में सवार सभी 13 जवान और अफसर शहीद, एयरफोर्स ने की पुष्टि, ब्लैक बॉक्स भी बरामद
हाईलाइट
  • अरुणाचल प्रदेश में लापता विमान का मलबा मिलने के दो दिन बाद यह घोषणा की गई है
  • एयरफोर्स के AN-32 विमान में सवार सभी 13 लोगों की मौत हो गई है
  • दुर्घटना क्षेत्र से फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF) के लापता हुए AN-32 विमान में सवार सभी जवान और अफसर शहीद हो गए। गुरुवार को वायुसेना ने इसकी पुष्टि की है। अरुणाचल प्रदेश में लापता विमान का मलबा मिलने के दो दिन बाद यह घोषणा की गई है। क्रैश में जान गवाने वाले सभी जवानों और अफसरों के शवों को एयरलिफ्ट कर वहां से निकाला जा रहा है। परिजनों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।

क्या कहा एयरफोर्स ने?
विमान में सवार सभी 13 लोगों के शव गुरुवार को मिले। दुर्घटना क्षेत्र से फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स) और AN-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर भी बरामद किया गया। वायुसेना ने ट्वीट कर कहा, 'बचाव दल के आठ सदस्य आज सुबह दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए। IAF को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि AN-32 के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवाल कोई भी यात्री नहीं बचा है।'

पेमा खांडू ने जताया दुख
विमान में सवार सभी लोगों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे वायु योद्धाओं की एयर क्रैश में मौत से बहुत दुखी हूं। वीरता और शौर्य प्राप्त करने वाले हमारे बहादुर वायु योद्धाओं को श्रद्धांजलि। उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है और ईश्वर से प्रार्थना करता हू कि इस दुःख की घड़ी में उन्हें शक्ति प्रदान करें।

मंगलवार को दिखा था मलबा
बता दें कि इंडियन एयरफोर्स के लापता हुए विमान AN-32 का मलबा मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश के टाटो इलाके के उत्तरपूर्व में लीपो से 16 किलोमीटर उत्तर में लगभग 12,000 फुट की ऊंचाई पर देखा गया था। एयरफोर्स के Mi-17 हेलीकॉप्टर को सर्च के दौरान ये मलबा दिखाई दिया था। मलबा दिखाई देने के बाद बुधवार को 15 सदस्यीय बचाव दल ने क्रैश साइट तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन दुर्गम इलाके और बेहद खराब मौसम की वजह से यह दल सफल नहीं हो सका। लिहाजा बचाव दल को एयरलिफ्ट करके दुर्घटनास्थल के करीब स्थित शिविर तक पहुंचाया गया था।

जोरहाट से भरी थी एयरक्राफ्ट ने उड़ान
AN-32 एयरक्राफ्ट असम के जोरहाट से उड़ान भरने के बाद से लापता था। असम के जोरहाट से 3 जून को 12.25 बजे एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी थी। अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर एयरक्राफ्ट को दोपहर 1.30 बजे लैंड करना था, लेकिन 1 बजे के बाद एयरक्राफ्ट का ग्राउंड एजेंसीज से संपर्क टूट गया। एरक्राफ्ट में विंग कमांडर जीएम चार्ल्स, स्क्वाड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर थापा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए तंवर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मोहंती और फ्लाइट लेफ्टिनेंट एमके गर्ग सवार थे। इनके अलावा वारंट ऑफिसर केके मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार, कॉर्पोरल शेरिन, लीड एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, पंकज और असैन्यकर्मी पुताली, राजेश कुमार भी इस एयरक्राफ्ट में थे।

 

 

मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का महत्व
मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में मेचुका घाटी में स्थित है। यह मैकमोहन लाइन के पास भारत-चीन सीमा के सबसे नज़दीकी लैंडिंग ग्राउंड है। समुद्र तल से लगभग 1830 मीटर की ऊंचाई पर और चीन सीमा के करीब स्थित, मेचुका चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान कई रणनीतिक स्थानों में से एक था। लंबे समय तक इस साइट का उपयोग नहीं किया गया। साल 2013 में इसे रिकंस्ट्रक्ट करने का निर्णय लिया गया था। IAF वर्क्स विभाग ने 30 महीनों के रिकॉर्ड समय में कार्य पूरा किया था। ईटानगर से सड़क मार्ग से लगभग 500 किलोमीटर दूर, मेचुका चीन सीमा से केवल 29 किलोमीटर दूर है और पहले से ही सीमांत राज्य में एक प्रमुख पर्यटक सर्किट का हिस्सा है।

1984 में IAF में हुआ था शामिल
AN-32 सोवियत एरा का ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जिसे पहली बार 1984 में IAF में शामिल किया गया था। आखिरी बार IAF का यह एयरक्राफ्ट 22 जुलाई 2016 को लापता हुआ था, जब अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए इसने चेन्नई से उड़ान भरी थी। यह एयरक्रफ्ट बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हो गया था। हफ्तों तक सर्च और रेस्क्यू अभियान जारी रहा लेकिन विमान कभी नहीं मिला। इसके बाद विमान में सवार सभी 29 लोगों को डेड मान लिया गया।

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