बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने स्वीकार किया चैलेंज, बाबा की शर्त मानने से पीछे हटी अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, जानिए किस प्वाइंट पर अटका दोनों का पेंच?
बागेश्वरधाम विवाद बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने स्वीकार किया चैलेंज, बाबा की शर्त मानने से पीछे हटी अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, जानिए किस प्वाइंट पर अटका दोनों का पेंच?
- ठुकराया समिति का 30 लाख रूपये देने का ऑफर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। बागेश्वरधाम वाले कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के बीच जारी विवाद में नया मोड़ आ गया है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने समिति की तरफ से दी गई चुनौती को स्वीकार कर लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने समिति द्वारा चुनौती सही साबित करने पर 30 लाख रूपये देने का ऑफर ठुकराते हुए उनके सवालों का मुफ्त जवाब देने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के उपाध्यक्ष श्याम मानव और उनके लोग 20 से 21 जनवरी को रायपुर में लगने वाले उनके दिव्य दरबार में आएं। इसके अलावा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि इस दौरान समिति के सदस्यों के आने जाने वाले खर्चे का वहन भी वो खुद करेंगे।
समिति ने किया न्यौता अस्वीकार
वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के रायपुर आने वाले बुलावे को अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने अस्वीकार कर दिया है। समिति के उपाध्यक्ष श्याम मानव का कहना है कि वहां आपका मंच, आपके लोग होंगे। वहां सब कुछ आपके सामने होगा। ऐसे में हमारे द्वारा दी गई चुनौती पूरी नहीं हो सकती। यह चुनौती केवल महाराष्ट्र के नागपुर में ही पूरी होगी। क्योंकि यहां उनके सामने हमारे द्वारा भेजे गए 10 लोगों का समूह होगा। तब पत्रकारों और बाकी लोगों के सामने फैसला होगा। श्याम मानव ने इस मामले में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि फडणवीस राज्य पुलिस के प्रमुख हैं, जिसके चलते कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उनके ऐसा करने से लोगों में ये संदेश जाएगा कि हिंदू भाईयों को ठगने वाले बाबा का उपमुख्यमंत्री सपोर्ट करते हैं। वह उनके पीछे खड़े हैं उनका सपोर्ट करते हैं जो लोगों को अंधविश्वास की तरफ धकेलते हैं।
क्या है विवाद?
नागपुर की अंधश्रद्धा उन्मूलन नाम की एक संस्था ने कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर अंधविश्वास और जादू-टोना फैलाने का आरोप लगाया था। समिति का कहना था कि दिव्य दरबार और प्रेत दरबार लगाकर धीरेंद्र शास्त्री ‘जादू टोना’ करते हैं। इसके अलावा समिति का ये भी आरोप था कि उनके दरबार में देव धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने के साथसाथ उनके साथ धोखाधड़ी भी होती है और शोषण भी किया जाता है। समिति ने इस सिलसिले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। यह शिकायत महाराष्ट्र मानव बलिदान और अन्य अमानवीय, बुराई और अघोरी प्रथा अथवा काला जादू रोकथाम और उन्मूलन अधिनियम 2013 के तहत करवाई गई थी।
दरअसल, विवाद की शुरूआत उस दौरान हुई जब कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की नागपुर में आयोजित हुई श्रीराम चरित्र- चर्चा 13 जनवरी की जगह 11 जनवरी को ही खत्म हो गई थी। इस पर अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति का कहना था कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को उनकी समिति की तरफ से चैलेंज दिया गया था कि वह उन लोगों के बीच आएं और अपना दिव्य दरबार लगाएं और वो जो ये दावा करते हैं कि बिना मिले ही लोगों के बारे में सब जान लेते हैं तो उनके बारे में भी बताएं। अगर वह सब सच बता देते हैं तो समिति उन्हें भेंट के रूप में 30 लाख रूपये देगी। समिति के मुताबिक हमारे इस चैलेंज के बाद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपना दिव्य चमत्कारी दरबार लगाए बिना ही अपने तय समय से दो दिन पहले ही नागपुर से चले गए। समिति की तरफ से इसी मुद्दे पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का विरोध किया जा रहा है।