SC के फैसले पर ओवैसी ने जताई असंतुष्टि, कहा- खैरात में नहीं चाहिए 5 एकड़ जमीन
SC के फैसले पर ओवैसी ने जताई असंतुष्टि, कहा- खैरात में नहीं चाहिए 5 एकड़ जमीन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि आलोचना की है। ओवैसी ने कहा, "हिन्दुस्तान का मुसलमान इतना गिरा हुआ नहीं है कि वो 5 एकड़ जमीन भीख में लेंगे।" बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने जमीन पर मालिकाना हक रामलला को दिया है। वहीं मुस्लिम पक्ष को कहीं और 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाएगी।
ओवैसी ने कहा, "हम फैसले से संतुष्ट नहीं है। भारत के नागरिक होने के नाते मेरा अधिकार है कि मैं कोर्ट के फैसले से असंतुष्टि जताऊं। क्या इस देश में हमें बोलने की आजादी नहीं है। मुल्क हिन्दू राष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है। संघ इसे अयोध्या से शुरुआत करेगी। एनआरसी का भी वो इस्तेमाल करेगी। ओवैसी ने आगे कहा कि मैं अपनी निजि घर का सौदा कर सकता हूं, मगर मस्जिद की जमीन का सौदा नहीं कर सकता हूं।
उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुप्रीम है, मगर इन्फैलेबेल नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने हक के लिए लड़ रहे थे, हमें दान के रूप में 5 एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। ओवैसी ने कहा, "कांग्रेस ने अपना असली रंग दिखा दिया हैं। कांग्रेस पार्टी के धोखेबाजों और पाखंडियों के लिए तो 1949 में मूर्तियां नहीं रखी गई होंगी। अगर राजीव गांधी द्वारा ताले नहीं खोले जाते, तो मस्जिद अब भी होती। नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया होता जो अब भी मस्जिद होती।
Asaduddin Owaisi: Not satisfied with the verdict. Supreme Court is indeed supreme but not infallible. We have full faith in the constitution, we were fighting for our right, we don"t need 5 acre land as donation. We should reject this 5 acre land offer, don"t patronize us. pic.twitter.com/wKXYx6Mo5Q
— ANI (@ANI) November 9, 2019
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने देश के सबसे लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म कर दिया। इसमें कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण प्रमुख स्थल पर किया जाए और मंदिर के निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट का गठन किया जाए। हिंदुओं का मानना है कि यह भगवान राम की जन्मभूमि है।