भोपाल: 35 साल पहले गैस त्रासदी से बच गए थे ये पांच लोग, अब कोरोना ने ली जान
भोपाल: 35 साल पहले गैस त्रासदी से बच गए थे ये पांच लोग, अब कोरोना ने ली जान
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस त्रासदी से जान बचा कर निकले लोगों के लिए अब वैश्विक महामारी कोरोना काल बन गया है। करीब 35 साल पहले दिसंबर 1984 में हुए भोपाल गैस कांड में 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, हालांकि कई लोग बच भी गए थे। अब इन्हीं गैस त्रासदी पीड़ितों में से पांच लोग कोरोना वायरस का शिकार हो गए। दरअसल कोरोना के कारण राजधानी में अब तक कुल पांच लोगों की मौत हुई है, वे सभी गैस पीड़ित थे। यह दावा किया है भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने।
राज्य में इंदौर के बाद भोपाल ही कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित जिला है। गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठन ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन" की सदस्य रचना ढींगरा ने बुधवार को दावा किया कि जो पांच लोग कोरोना के चलते मरे हैं वे सभी गैस पीड़ित हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि अगर समय रहते गैस पीड़ितों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
गैस पीड़ितों के इलाज में हो रही मुश्किल
ढींगरा का आरोप है कि भोपाल गैस पीड़ितों के लिए बने भोपाल मेमोरियल हस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) उपचार संस्थान के रूप में चिन्हित किया है, जिससे इस अस्पताल में केवल कोविड-19 के मरीजों का ही उपचार हो रहा है। इस वजह से गैस पीड़ितों को परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
उन्होंने ये भी कहा कि, राजधानी में बड़ी संख्या में गैस पीड़ित ऐसे है जो फेंफड़े, हृदय और गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं। यही कारण है कि 21 मार्च को गैस पीड़ितों के संगठनों ने राज्य एवं केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आगाह किया था। साथ ही यह आशंका जताई थी कि कोरोना वायरस का संक्रमण गैस पीड़ितों पर अन्य की तुलना में पांच गुना ज्यादा हो सकता है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया और बीएमएचआरसी को गैस पीड़ितों के इलाज के लिए पूरी तरह बंद कर दिया।
ज्ञात हो कि दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस मिक ने राजधानी में जमकर तबाही मचाई थी। उसके पीड़ित अब भी है, उनके इलाज के लिए बनाए गए बीमएएचआरसी को कोविड-19 अस्पताल में बदल दिया गया है। इससे गैस पीड़ितों का इलाज नहीं हो पा रहा है।
ये सभी थे गैस त्रासदी पीड़ित
मंगलवार को भोपाल में कोरोना से जान गंवाने वाले 73 वर्षीय अशफाक नदवी जहांगीराबाद इलाके में रहते थे। गैस त्रासदी के पीड़ित रहे 55 साल के नरेश खटीक कोरोनो का शिकार बनने वाले राजधानी के पहले मरीज थे। 7 अप्रैल को उनकी मौत हुई थी, जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण उन्हें सांस की बीमारी थी। कोरोना से दूसरी मौत 77 वर्षीय जगन्नाथ मैथिल की हुई, ये भी गैस पीड़ित थे। इब्राहिमपुरा और चौकी इमामबाड़ा में रहते थे। राजकुमार यादव, इमरान ये दोनों भी गैस त्रासदी के पीड़ित थे और कोरोना से मौत हो गई।
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जहांगीराबाद इलाके में की जा रही लोगों की स्क्रीनिंग
गौरतलब है कि, भोपाल मेडिकल हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) खास तौर से गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए था, लेकिन कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को चलते सरकार ने इसे कोरोना मरीजों के लिए समर्पित कर दिया। वहीं जहांगीराबाद इलाके में कोरोना हुई मौत के बाद जिला प्रशासन की टीम ने इस क्षेत्र को सील कर सैनिटाइजेशन का काम शुरू किया है। साथ ही इलाके में रह रहे करीब 50 से 60 हजार लोगों की स्क्रीनिंग भी शुरू कर दी गई है।