रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर भारत ने चुनी खामोशी, क्या चीन है इस मौन की बड़ी वजह!

युद्ध और भारत की खामोशी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर भारत ने चुनी खामोशी, क्या चीन है इस मौन की बड़ी वजह!

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-22 10:56 GMT
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर भारत ने चुनी खामोशी, क्या चीन है इस मौन की बड़ी वजह!
हाईलाइट
  • 55 फीसदी हथियार रूस से खरीदता है भारत
  • एशिया में यूक्रेन ने अपना पहला दूतावास भारत में खोला था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  यूक्रेन विवाद को लेकर अब विश्व की दो बड़ी महाशक्ति अमेरिका और रूस आमने सामने आ चुके है। यही नहीं अब यह विवाद इतना बढ़ चुका है कि इससे दुनिया के देश अब  दो धुरी पर बटे हुए दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ यूक्रेन का अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने भी समर्थन किया है। वहीं रूस इन सबके बावजूद अपनी बातों पर अडिग दिखाई दे रहा है।  कई देशों ने अभी तक अपना रूख  तक स्पष्ट नहीं किया है। उनमें से प्रमुख देश है भारत । हालांकि भारत पूर्व से ही यह कहता रहा है कि बातचीत से ही रास्ता निकालना चाहिए, युद्ध किसी के हित में नहीं है। 

भारत का क्या है रुख?

रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते विवाद पर भारत की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस विवाद में अमेरिका और रूस दोनों ही देश आमने सामने हैं। अमेरिका यूक्रेन के समर्थन में खड़ा हुआ है। ऐसे में भारत को किसी भी देश के साथ खड़े होने से पहले कई मुद्दों पर विचार करना होगा। 

एक तरफ भारत रूस को हथियारों की खरीद के मामले को प्राथमिकता देता है। अभी भी भारत 55 फीसदी हथियार रूस से ही खरीदता है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका है जिसके साथ पिछले कुछ वर्षो में भारत के संबंध मजबूत हुए हैं। इसके साथ ही भारत और यूक्रेन के संबंध को आप इसी बात से समझ सकते हैं कि यूक्रेन ने एशिया में अपना पहला दूतावास भारत में ही खोला था।  

भारत का शांत रहना मजबूरी ?

भारत पहले से ही लगातार बातचीत के माध्यम  से ही हल निकालने की बात कह रहा है। फिर भी भारत यूक्रेन का समर्थन करता है, तो रूस भारत - चीन सीमा विवाद पर कूटनीतिक रूप से चीन के समर्थन में जा सकता है। जो भारत कभी नहीं चाहेगा। क्योंकि रूस और चीन के संबंध अच्छे होने के बाद भी भारत की दोस्ती के कारण ही रूस ने इस पर तटस्थ रुख अपनाया है। हालांकि रूस के तटस्थ रुख को भी अलग -अलग कारणों के साथ देखा जा सकता है।  

भारत ने इस विवाद पर क्या किया?

अमेरिका सहित 10 देश संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में जब यूक्रेन पर एक प्रस्ताव लेकर आए तब भारत ने किसी के पक्ष में मतदान नहीं किया भारत के लिए अभी चिंता की बात यह है कि यूक्रेन में  इस समय करीब 20,000 भारतीय फंसे हुए हैं इनमें से 18 हजार मेडिकल के छात्र हैं। 

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