जानें उन पांच जजों के बारे में जिन्होंने सुनाया अयोध्या मामले में फैसला
जानें उन पांच जजों के बारे में जिन्होंने सुनाया अयोध्या मामले में फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर फैसला आज (शनिवार) को आ गया है। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने इस पर फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच इसपर फैसला दिया। बता दें सीजेआई रंजन गोगई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। अगले सीजेआई जस्टिस शरद बोबडे होंगे। आइए जानते हैं उन पांच जजों के बारे में जिन्होंने सुनाया अयोध्या मामले में फैसला।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर का जन्म 5 जनवरी 1958 को कर्नाटक के कनारा में हुआ। नजीर ने 1983 में कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। साल 2003 में उन्हें एडिशनल जज नियुक्त किया गया। 2004 में अब्दुल नजीर कर्नाटक हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। फरवरी 2017 में जस्टिस नजीर को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।
जस्टिस अशोक भूषण का जन्म जौनपुर में 5 जुलाई 1956 को हुआ था। साल 1979 में में वह यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। वर्ष 2001 में भूषण इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए। 2014 में केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज में बने।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सेंट स्टीफन कॉलेज नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बी.ए. दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया। चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किया गया। उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के जज भी रहे। चंद्रचूड़ ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ था। रंजन गोगई के बाद बोबडे अगले चीफ जस्टिस होंगे। शरद ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की और वरिष्ठ वकील बने। साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया। इसके बाद बोबडे मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
रंजन गोगोई एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश है। गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण किया। उनके पिता केशव चंद्र गोगोई 1982 में असम राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। गोगोई भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले व्यक्ति है।