दिगंबर मुनि को पुलिस ने पहनाए कपड़े, मांगा बिना लहसुन-प्याज का खाना
दिगंबर मुनि को पुलिस ने पहनाए कपड़े, मांगा बिना लहसुन-प्याज का खाना
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। रेप के आरोप में गिरफ्तार दिगंबर जैन मुनि शांतिसागर महाराजने बड़ा कबूलनामा किया है। आरोप लगने के बाद शांतिसागर ने कहा कि, मैंने कोई रेप नहीं किया है जो भी कुछ हुआ वो लड़की की रजामंदी से हुआ है। मेडिकल के दौरान उन्होंने डॉक्टर से कहा, "मैं लड़की को 5-6 महीने से जानता हूं। वह पहली बार मिलने के लिए पूरे परिवार के साथ सूरत आई थी। 1 अक्टूबर को जो भी कुछ हुआ वो लड़की की रजामंदी से हुआ था। जीवन में पहली बार ऐसा किया।" यह बात डॉक्टर ने मेडिकल के लीगल केस रजिस्टर में दर्ज की है। डॉक्टर ने मुनि से पूछा कि आप तो साधु हैं फिर ऐसा क्यों किया? इस पर मुनि ने सिर झुका लिया। हालांकि मेडिकल के दौरान जरूरी सैंपल नहीं लिए जा सके। डॉक्टर्स का कहना था कि सागर तनाव में हैं, पुलिस उन्हें जांच के लिए फिर से लेकर आए। इसके बाद में मुनि को जेल भेज दिया गया।
पुलिस करवा सकती है फॉरेंसिक जांच
सूत्रों के मुताबिक, मामले के नाजुक होने के चलते पुलिस फॉरेंसिक जांच करवाने की भी तैयारी कर रही है। शांति सागर को पुलिस ने शनिवार रात ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, लेकिन रिमांड नहीं मांगी गई। पुलिस ने कोई सामान बरामद नहीं करने की बात कही है। कोर्ट से ज्यूडिशियल कस्टडी दिए जाने के बाद रात 12:35 बजे मुनि को जेल भेज दिया गया। मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी डीके राठौड़ ने बताया कि चार गवाहों ने इस केस में बयान दिए हैं। सभी का दावा है कि लड़की और मुनि के साथ वे लोग भी वहां थे।
दिगंबर जैन संत होने की वजह से शांतिसागर कपड़े नहीं पहनते। इसलिए पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल, कोर्ट में पेशी और जेल भेजने की प्रक्रिया के दौरान कपड़े पहनाए।
जेल में की अलग फरमाइश
मुनि शांतिसागर ने जेल में पहले ही दिन एक अनोखी फरमाइश कर दी। उन्होंने जेल अधिकारियों से बिना लहसुन-प्याज के खाने की मांग की है।
शांतिसागर पर लगे आरोपों पर जैन मुनि तरुण सागर ने भी प्रतिक्रिया दी है। तरुण सागर ने कहा कि ‘शांति सागर संत के वेश में पाखंडी है। ऐसे दुष्कर्मी को जैन समाज आदर्श नहीं मानता।’ तरुण सागर ने कहा कि ‘एकांत में मिलना गलत नहीं है मगर व्यवहार का ध्यान रखना जरूरी है।’
मध्य प्रदेश के गुना से हैं मुनि
शांतिसागर बचपन से लेकर जवानी तक एमपी के गुना डिस्ट्रिक्ट में ताऊजी के साथ रहे। उनके एक दोस्त ने बताया कि पहले उनका नाम गिरराज शर्मा था। उनका परिवार कोटा में रहता था। पिता सज्जनलाल शर्मा वहीं पर हलवाई थे। दोस्त ने बताया कि गिरराज मौज-मस्ती में जीने वाला था। खूब क्रिकेट खेलता था। पढ़ाई में एवरेज था। उनके दोस्तों का ग्रुप शहर में उन दिनों के सबसे फैशनेबल युवाओं का था। कपड़े हों या हेयर कट, नए ट्रेंड को सबसे पहले यही ग्रुप अपनाता था। गिरराज 22 साल की उम्र में मंदसौर में जैन संतों के कॉन्टेक्ट में आए। पढ़ाई अधूरी छोड़कर वहीं दीक्षा लेकर गिरराज से शांतिसागर महाराज बन गए। संन्यासी बनने के तीन दिन पहले वह गुना आए थे। दो दिन बिताने के बाद कभी गुना नहीं लौटे।