कोरोनो से कैसे जीतेगा भारत: भोजन से पहले केवल 36% घरों में साबुन से धोया जाता है हाथ
कोरोनो से कैसे जीतेगा भारत: भोजन से पहले केवल 36% घरों में साबुन से धोया जाता है हाथ
- 60 फीसद से अधिक लोग केवल पानी से हाथ धोते हैं
- केवल 25 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में और 56 फीसद शहरी क्षेत्रों भोजन से पहले हाथ धोया जाता है
- कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप ने 195 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप ने 195 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में भी खबर लिखे जाने तक इससे 873 लोग संक्रमित हैं और 19 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। कोरोना के बढ़ते मामलों से लोगों में साफ-सफाई को लेकर काफी जागरूकता आई है। वैज्ञानिकों का भी कहना है कि इस वायरस से बचने का सबसे कारगर तरीका बार बार साबुन से हाथ धोना है। साथ ही लोग बार-बार सेनेटाइजार का इस्तेमाल करें। इस बीच नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में केवल 36 फीसद घरों में भोजन से पहले साबुन से हाथ धोया जाता है।
सर्वे के आधार पर दिए गए इस आंकड़े के मुताबिक, इसमें एक-एक घर को शामिल किया गया था जिसके अधिकांश लोग खाने से पहले साबुन से अपना हाथ धोते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई इन घरों में साबुन से हाथ नहीं धोता है। 60 फीसद से अधिक लोग केवल पानी से हाथ धोते हैं।
ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि केवल पानी से हाथों की सफाई हो जाती है, लेकिन कुछ ऐसे छोटे वायरस हाथों में रह जाते हैं जो बिना साबुन या हैण्डवाश के नहीं जाते। इसलिए कोरोना जैसे महामारी से निपटने के लिए साबुन से हाथ धोना जरूरी है।
अधिकांश भारतीय ऐसे हैं जो कभी-कभार खाने से पहले साबुन से हाथ धोते हैं। उनमें ये आदत अभी तक नहीं बन पायी है कि खाने से पहले साबुन से हाथ धोना जरूरी होता है।
यह भी आश्चर्यजनक है कि पिछले दो दशकों में लगातार सरकारें गांव के अंतिम व्यक्ति तक स्वच्छता के संदेश को पहुंचाने में विफल रही हैं। भारत ने 1999 में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (TSC) शुरू किया, जो 2012 में निर्मल भारत अभियान (NBA) और 2014 में स्वच्छ भारत मिशन बन गया।
लेकिन सालों बाद एनएसएसओ के एक सर्वे में पाया गया है कि केवल 25 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में और 56 फीसद शहरी क्षेत्रों भोजन से पहले हाथ धोया जाता है।