अपने पैतृक गांव पहुंच कर भावुक हुए प्रेसिडेंट, हेलीपैड पर उतरते ही भूमि को नमन किया; बोले- सपने में भी नहीं सोचा था राष्ट्रपति बनूंगा
अपने पैतृक गांव पहुंच कर भावुक हुए प्रेसिडेंट, हेलीपैड पर उतरते ही भूमि को नमन किया; बोले- सपने में भी नहीं सोचा था राष्ट्रपति बनूंगा
- पैतृक गांव पहुंचकर भावुक हुए राष्ट्रपति
- बोले- सोचा नहीं था कि गांव का एक लड़का देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचेगा
- हेलीपैड पर उतरते ही जन्मभूमि पर नतमस्तक हुए कोविंद
डिजिटल डेस्क, कानपुर। भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद रविवार को तीन दिवसीय यात्रा पर उत्तर प्रदेश पहुंचे। अपने कार्यक्रम में सबसे पहले राष्ट्रपति ने अपने पैतृक गांव परौंख की यात्रा की, जहां उन्होंने पथरी माता मंदिर के दर्शन किए और वहां मौजूद ग्रामीणों का अभिवादन किया। राष्ट्रपति को उनके गांव के पास हेलीपैड पर उतरने के तुरंत बाद भावनात्मक भाव में उस भूमि को नमन करते हुए देखा गया जहां उनका जन्म हुआ था।
राष्ट्रपति कोविंद की ये तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की गई है। इन तस्वीरों में राष्ट्रपति के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान राष्ट्रपति ने थोड़ी सी मिट्टी ली और इसे अपने माथे पर लगाया। राष्ट्रपति कानपुर देहात स्थित अपने बचपन के दोस्त के.के. अग्रवाल के घर भी पहुंचे। अग्रवाल एक कपड़ा व्यापारी हैं। उनका पिछले कुछ हफ्तों से स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, इसलिए राष्ट्रपति ने अपने पुराने दोस्त के घर जाने का फैसला किया। वह अपने साथ अग्रवाल और उनकी पत्नी वीना की 51वीं शादी की सालगिरह मनाने के लिए केक भी लाए थे। राष्ट्रपति एक घंटे से अधिक समय तक अग्रवाल के आवास पर रहे।
बाद में मीडिया से बात करते हुए अग्रवाल ने कहा कि वह इस बात से उत्साहित हैं कि राष्ट्रपति ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह उन्हें भगवान कृष्ण की याद दिलाता है जो उनके गरीब मित्र सुदामा के घर आए थे। उनकी शादी की सालगिरह मनाने के लिए केक ले जाने के राष्ट्रपति के इशारे ने इस अवसर को खास बना दिया।
बता दें कि अग्रवाल और राष्ट्रपति कोविंद के परिवार बहुत लंबे समय से दोस्त हैं। कानपुर के व्यवसायी ने दिल्ली में राष्ट्रपति भवन का दौरा किया था, जब कोविंद ने देश के सर्वोच्च पद की शपथ ली थी। 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद का अपने पैतृक गांव का यह पहला दौरा है।
परौंख गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने का सम्मान मिलेगा, लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने ऐसा कर दिखाया।" राष्ट्रपति ने कहा, "आज मैं जहां भी पहुंचा हूं, उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी, इस क्षेत्र और आपके प्यार एवं आशीर्वाद को जाता है। बुजुर्गों को माता-पिता की तरह सम्मान देना हमारे संस्कार हैं और मुझे खुशी है कि हमारे परिवार में बड़ों को सम्मान देने की यह परंपरा अब भी जारी है।" राष्ट्रपति ने कहा, "मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें हमेशा मेरे दिल में बसी रहेंगी। परौंख गांव मेरी "मातृभूमि" है, जहां से मुझे देश सेवा करने की प्रेरणा मिलती रही है।
बता दें कि राष्ट्रपति 28 और 29 जून को लखनऊ रहेंगे। वह सोमवार को कानपुर से सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर विशेष ट्रेन से लखनऊ के लिए रवाना होंगे और वह करीब डेढ़ घंटे बाद11 बजकर 50 मिनट पर लखनऊ रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे। रेलवे स्टेशन से वह सीधे राजभवन जाएंगे, जहां वह दोपहर का भोजन करेंगे। राज भवन में शाम छह बजे एक कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य गणमान्य लोग शामिल होंगे। राष्ट्रपति उस रात को राजभवन में विश्राम करेंगे। मंगलवार को सुबह साढ़े 11 बजे लोकभवन से भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर मेमोरियल एवं सांस्कृतिक सेंटर की आधारशिला रखेंगे। इसके बाद, वह शाम साढ़े छह बजे लखनऊ एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।