भूकंप के झटकों को सहने वाला मकान कैसे बनता है, क्या वाकई भूकंपरोधी मकान में रह कर भूकंप के झटकों को सहना और जिंदगी बचाना आसान है?
भूकंप से कैसे बचेंगे मकान? भूकंप के झटकों को सहने वाला मकान कैसे बनता है, क्या वाकई भूकंपरोधी मकान में रह कर भूकंप के झटकों को सहना और जिंदगी बचाना आसान है?
- मोमेंट-रेसिस्टेंट और शीयर वॉल है महत्वपूर्ण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार की सुबह तुर्की से एक बड़ा भयावहा मंजर देखने को मिला। देश में सवा चार बजे 7.8 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के इतने तेज झटके थे कि इसमें हजारों लोगों की मौतें हो चुकी हैं। आलम ये है कि कई बड़ी-बड़ी इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं। जिसमें 1500 सौ से ज्यादा लोगों की दबकर मौतें हो चुकी हैं। वहीं जब-जब ऐसी घटना होती है तो एक सवाल सबके मन में आता है, अगर भूकंप रोधी इमारत रहती तो शायद इतनी संख्या में जान माल का नुकसान न होता। शायद कई जिंदगियां बच गईं होती। इसी कड़ी में आइए भूकंप रोधी इमारतों के बारे में जानते हैं कि कैसे बनाए जाते हैं और ये सामान्य इमारतों से कितने अलग होते हैं। साथ ही ये भी जानेंगे कि क्या इन्हें बनाने में सामान्य इमारतों से ज्यादा खर्च आते हैं।
ज्यादा महंगा नहीं भूकंपरोधी मकान
भूकंपरोधी मकान बनाने के फायदे ये हैं कि यह आपको भूंकप के झटकों से बचाने का भरपूर प्रयास करता है। हालांकि, भूकंप से यह 100 फीसदी तो नहीं बचा सकता, लेकिन फिर भी सामान्य मकान की तुलना में काफी किफायती माना जाता है। भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए खर्च की बात करें तो साधारण मकान से महज 10 से 15 फीसदी ही अधिक लगता है। बता दें कि, इंजीनियर और आर्कियोलॉजिस्ट ऐसी चीज की खोज कर रहे हैं कि जो पृथ्वी से अधिक मजबूत हो, ताकि इस प्राकृतिक आपदा से बचाया जा सके।
ऐसे होगा बचाव
भूकंप से बचाने के लिए भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण विशेष प्रकार के लेआउट से बनता है। इन्हें बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता के मटेरियल्स और बीम बनाई जाती हैं। जिसकी वजह से यह भूकंप के झटकों से बची रहती हैं। साथ ही इमारतों का सही दिशा में होना और उनका क्षेत्र क्या है। ये भी भूकंप रोधी इमारतों के बनाने में खासा ध्यान रखा जाता है।
इमारत की नींव हो मजबूत
भूकंप रोधी इमारत बनाने के लिए सबसे पहले उसकी नींव मजबूत होना चाहिए। इमारत की नींव जमीन के अंदर काफी हो और बाहर भी उसका हिस्सा रहना चाहिए, ताकि जमीन के साथ मजबूती बनी रहे। इसके अलावा नींव को मजबूत करने के लिए आइसोलेशन का उपयोग कर सकते हैं। आपकों बता दें कि, बेस आइसोलेशन ऐसी प्रकिया है, जिसमें भूकंप के दौरान इमारत की नींव तो हिलती हैं लेकिन इमारत स्थिर बनी रहती हैं।
मोमेंट-रेसिस्टेंट और शीयर वॉल है महत्वपूर्ण
इमारत के स्ट्रक्चर को क्रॉस ब्रेसिज और शीयर वॉल तकनीक से मजबूत किया जा सकता है। शीयर वॉल कई पैनलों से बने होने की वजह से भूकंप के झटकों को रोकने में काफी अहम होती है। ये आपदा आने के समय में इमारत को एक ही जगह बनाए रखती है। वहीं इमारतों को मजबूती देने के लिए मोमेंट-रेसिस्टेंट फ्रेम और डायाफ्राम का भी उपयोग किया जा सकता है। जिसकी वजह से भूकंप के झटके को इमारत में किसी भी प्रकार की क्षति होने से बचता है।
गारंटी लेना मुश्किल
हालांकि, यह सब करने के बाद भी यह 100 फीसदी वारंटी तो नहीं है कि भूकंप रोधी इमारत इस आपदा से बच जाएगी। लेकिन यह जरूर हो सकता है कि कम तीव्रता वाले भूकंप को सहन कर सके। भूकंपरोधी इमारत बनाने के लिए खास तरह का मटेरियल भी अहम होता है। क्योंकि सारा खेल विशेष प्रकार की सामग्री पर जा टिकता है। अगर इमारत बनाने में अच्छी गुणवता वाली सामग्री का उपयोग होता है तो इमारत मजबूत होगी। वहीं भूकंप से बचने के लिए लकड़ी या स्टील जैसे पदार्थों का भी उपयोग किया जा सकता है क्योंकि, इन पदार्थों में लचीलापन होता है। जिसकी वजह से यह जल्दी टूट नहीं पाते हैं।