लोकसभा: नागरिकता संशोधन विधेयक पेश, विपक्ष में 82 और पक्ष में पड़े 293 वोट
लोकसभा: नागरिकता संशोधन विधेयक पेश, विपक्ष में 82 और पक्ष में पड़े 293 वोट
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को तीखी बहस के बीच नागरिकता संशोधन बिल पेश हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल को पेश किया और इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष के विरोध के कारण बिल सीधे पेश नहीं हो पाया, बल्कि मतदान के जरिए पेश हुआ। लोकसभा में बहुमत होने के कारण भाजपा को इसमें दिक्कत नहीं आई और बड़े अंतर के साथ सरकार ने इस बिल की पहली परीक्षा को पास कर लिया। विपक्ष को जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि ये बिल संविधान के खिलाफ नहीं है।
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- कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ बताया। इसी विरोध के बाद बिल को पेश करने के लिए लोकसभा में मतदान कराना पड़ा, नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के पक्ष में 293 और पेश करने के विरोध में 82 वोट पड़े। सोमवार को सदन में कुल मतदान 375 हुआ था।
Lok Sabha: 293 "Ayes" in favour of introduction of #CitizenshipAmendmentBill and 82 "Noes" against the Bill"s introduction, in Lok Sabha pic.twitter.com/z1SbYJbvcz
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- नए बिल के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में आसानी होगी। इसके अलावा अब भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल नहीं बल्कि 6 साल तक देश में रहना अनिवार्य होगा। विपक्ष इस बिल को गैर संविधानिक बता रहा और मुस्लिम विरोधी करार दे रहा है।
- लोकसभा में नागरिकता बिल के लिए जो वोटिंग हुई उसमें 293 हां के पक्ष में और 82 विरोध में वोट पड़े। लोकसभा में इस दौरान कुल 375 सांसदों ने वोट किया।
- तीन देशों से कोई मुस्लिम सज्जन अगर हमारे कानून के आधार पर आवेदन करता है, तो देश खुले मन से विचार करेगा। लेकिन इस बिल का फायदा उन लोगों का इसलिए नहीं मिल सकता क्योंकि उनके साथ धार्मिक प्रताड़ना नहीं हुई है।
- ये तीनों देशों से धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर जो 6 धर्मों के लोग भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता दी जाएगी।
- आजादी के वक्त अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन न किया होता, तो ये बिल लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
- तीनों देशों में हिंदू, सिख, पारसी, जैन, ईसाई, बुद्ध इन धर्मों का पालन करने वालों के साथ धार्मिक प्रताड़ना हुई। जो बिल मैं लेकर आया हूं, वो धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का है। इस बिल में मुसलमानों के हक नहीं छीने गए हैं।
- अमित शाह ने कहा कि इस बिल की जरूरत कांग्रेस की वजह से पड़ी। धर्म के आधार पर कांग्रेस ने देश का विभाजन किया। इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा।
- अमित शाह ने इस दौरान कहा कि हमारे देश की 106 किमी। सीमा अफगानिस्तान से सटी है, ऐसे में उसे शामिल करना जरूरी था। मैं इसी देश का हूं और भूगोल जानत हूं। शायद ये लोग PoK को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।
- विपक्षी नेताओं की तरफ से आर्टिकल 14 पर जो सवाल खड़े किए गए, उसपर अमित शाह जवाब दे रहे हैं। अमित शाह ने इस दौरान कहा कि इस बिल में संविधान का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
- अमित शाह ने विपक्षी दलों को जवाब देते हुए कहा, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी बांग्लादेश से अल्पसंख्यक आए लोगों को शरण दी थी।
- नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करते हुए सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, सेक्युलिरिज्म इस मुल्क का हिस्सा है, ये एक्ट फंडामेंटल राइट का उल्लंघन करता है। ये बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। इस मुल्क को इस कानून से बचा ले लीजिए, गृह मंत्री को बचा लीजिए।
Asaduddin Owaisi in Lok Sabha: I appeal to you(Speaker), save country from such a lawsave Home Minister also otherwise like in Nuremberg race laws and Israel"s citizenship act, Home Minister"s name will be featured with Hitler and David Ben-Gurion। #CitizenshipAmendmentBill2019 pic।twitter।com/ZEp1siNo56
— ANI (@ANI) 9 दिसंबर 2019
- कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस बिल के पेश होने से संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन किया गया है, लेकिन अमित शाह ने कहा कि इस बिल के आने से अल्पसंख्यकों पर कोई असर नहीं होगा। ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि इस बिल का पेश होना ही संविधान के खिलाफ है, लेकिन अमित शाह ने कहा कि जब बिल पर चर्चा होगी तब वह जवाब देंगे।
- नागरिकता संशोधन विधेयक बिल पर अमित शाह और अधीर रंजन के बीच तीखी बहस
Lok Sabha: Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury on #CitizenshipAmendmentBill," It nothing but a targeted legislation over minority people of our country"। Union Minister Amit Shah says, "This Bill is not even ।001% against minorities in the country"। pic।twitter।com/vMBwDz5dVk
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- अमित शाह ने अधीर रंजन को जवाब देते हुए कहा कि ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है।
- कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने बिल को अल्पसंख्यकों के विरोध में बताया
- अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है नागरिकता संशोधन विधेयक बिल- अमित शाह
- गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया नागरिकता संशोधन विधेयक
Union Home Minister Amit Shah tables #CitizenshipAmendmentBill in Lok Sabha pic।twitter।com/dcqRT58csk
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- असम के गोलाघाट में नागरिकता संशोधन विधेयक बिल का विरोध
Assam: People stage protest against #CitizenshipAmendmentBill2019 in Golaghat। pic।twitter।com/y4J76IU5it
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, हम नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हैं और पार्टी हर कीमत पर इसका विरोध करेगी।
Samajwadi Party Chief and MP from Azamgarh (UP) Akhilesh Yadav: We are against #CitizenshipAmendmentBill2019 and the party will oppose it at all costs। pic।twitter।com/hsv3dNksFy
— ANI (@ANI) 9 दिसंबर 2019
- नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पार्टी के सांसदों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने धरना दिया
Indian Union Muslim League party MPs hold a protest in front of Mahatma Gandhi statue in Parliament premises against #CitizenshipAmendmentBill2019 pic।twitter।com/YERzYZ15Fx
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- जंतर-मंतर पर नागरिकता संशोधन बिल का विरोध
Delhi: All India United Democratic Front (AIUDF) stages protest at Jantar Mantar against the #CitizenshipAmendmentBill2019। pic।twitter।com/7n32z1nsAN
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- असम: नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में विभिन्न संगठनों का बंद
Assam: Shops closed in Guwahati following shutdown call by various organisations opposing #CitizenshipAmendmentBill2019। pic।twitter।com/pEiienfDjd
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- संसद भवन पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह, आज दोपहर 12 बजे पेश करेंगे नागरिकता संशोधन विधेयक
Delhi: Union Home Minister Amit Shah arrives at Parliament। Citizenship Amendment Bill (CAB) is in Lok Sabha"s List of Business for today, to be introduced by the minister। pic।twitter।com/lGWR2Q0xSR
— ANI (@ANI) December 9, 2019
- AIADMK नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में आ गई है। AIADMK के राज्यसभा में 11 सांसद हैं।
- संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि केंद्र सरकार आज ही नागरिकता बिल को लोकसभा में पास कराएगी। यानी इस बिल पर लोकसभा में सोमवार को ही चर्चा हो सकती है।
- शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिज़वी ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा गया है कि नागरिकता संशोधन बिल में शियाओं को भी शामिल किया जाए।
- शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को ट्वीट किया कि अवैध नागरिकों को बाहर करना चाहिए, हिंदुओं को भारत की नागरिकता देनी चाहिए, लेकिन उन्हें कुछ समय के लिए वोटिंग का अधिकार नहीं देना चाहिए। क्या कहते हो अमित शाह? और कश्मीरी पंडितों का क्या हुआ, क्या 370 हटने के बाद वो वापस जम्मू-कश्मीर में पहुंच गए?
Illegal Intruders should be thrown out । immigrant Hindus must be given citizenship,but @AmitShah let"s give rest to allegations of creating vote bank not give them voting rights,what say ? And yes what about pandits,have they gone back to kashmir after article 370 was removed
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) 9 दिसंबर 2019
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून बिल को पेश करेंगे। सड़क से संसद तक इस बिल का विरोध हो रहा है। लेकिन, मोदी सरकार ने इसपर आगे बढ़ने की ठानी है। कांग्रेस, टीएमसी समेत कई अहम विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध करने की बात कही है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है।
"दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को लाभ"
नागरिकता बिल संसद में पारित होने के बाद पड़ोसी तीनों देशों से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। संघ का मानना है कि बिल के कानून का रूप लेने के करीब सालभर तक नागरिकता देने का काम पूरा हो जाएगा। करीब दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को इससे लाभ मिलेगा। मगर इसमें किसी तरह की चूक से रोकने के लिए उन सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी जो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।