ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब्त किए चिम्पांजी और अमेरिकी बंदर, लाखों में है कीमत
ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब्त किए चिम्पांजी और अमेरिकी बंदर, लाखों में है कीमत
- कार्रवाई पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विभाग से प्राप्त जानकारी के आधार पर की गई
- तीन चिंपैंजी और अमेरिका में पाए जाने वाले विशेष प्रकार के चार बंदरों को जब्त किया है
- प्रत्येक चिंपैंजी की कीमत 25
- 00
- 000 और अमेरिकी बंदरों की कीमत 1
- 50
- 000 आंकी गई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में मनी लॉन्ड्रिंग का अपने तरह का एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई करते हुए तीन चिंपैंजी और अमेरिका में पाए जाने वाले विशेष प्रकार के चार बंदरों को जब्त किया है। तीनों चिंपैंजी और चार अमेरिकी बंदरों को फिलहाल कोलकाता के अलीपुर जियोलॉजिकल गार्डेन में रखा गया है।
ED attaches smuggled wildlife animals (3 chimpanzees 4 marmosets) under PMLA, which enabled Kolkata Zoo Authorities to retain the wildlife animals with them.
— ED (@dir_ed) September 21, 2019
प्रत्येक चिंपैंजी की कीमत 25,00,000 और अमेरिकी बंदरों की कीमत 1,50,000 आंकी गई है। इस तरह 81,00,000 की कीमत के जब्ती का आदेश जारी किया गया है। ईडी का कहना है कि इस कार्रवाई के बाद अब ये वन्यजीव जू अथॉरिटी के पास रहेंगे। तीनों चिंपैंजी जू आने वाले दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। ईडी की इस कार्रवाई से वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगेगी।
मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामलों की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि चिम्पांजी को तस्कर के घर से सीमा शुल्क विभाग ने जब्त किया था और उन्हें कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में रखा गया था। बताया गया है कि तीनों चिम्पांजी कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में आकर्षण का केंद्र बिंदु बन गए थे और इसलिए वे राजस्व का स्रोत भी थे।
इस आधार पर हुई कार्रवाई
आपको बता दें कि ईडी ने यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विभाग से प्राप्त जानकारी के आधार पर की गई। कोलकाता के सुप्रदीप गुहा के खिलाफ भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत केस दर्ज हुआ था। बंगाल सरकार के वन्यजीव विभाग ने इस अधिनियम की धारा 9, 39, 44, 48, 49 और 51 के तहत सुप्रदीप गुहा के खिलाफ एक स्थानीय अदालत में मामला दर्ज कराया था।
फर्जी अनुमति पत्र मिला
ईडी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हुई जांच में पता चला है कि सुप्रदीप गुहा अवैध ढंग से वन्य जीवों की तस्करी का रैकेट चलाता था। राज्य पुलिस ने गुहा के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों को सही दस्तावेज के तौर पर पेश करने का मामला दर्ज किया था। क्योंकि उसके पास पश्चिम बंगाल के वन, वन्यजीव के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन्यजीव वार्डन द्वारा जारी फर्जी अनुमति पत्र मिला था।
ईडी के अनुसार गुहा ने तीनों चिंपैंजी के भारत में पैदा होने का फर्जी प्रमाणपत्र बनवा लिया था। ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया कि गुहा संगठित वन्यजीव तस्करी गिरोह चला रहा था। इन तथ्यों का खुलासा होने के बाद तीनों चिंपैंजी को जब्त कर लिया गया है।