DRDO का जवाब, स्पेस स्टेशन को खतरा नहीं, 45 दिनों में नष्ट हो जाएगा सैटेलाइट का मलबा
DRDO का जवाब, स्पेस स्टेशन को खतरा नहीं, 45 दिनों में नष्ट हो जाएगा सैटेलाइट का मलबा
- DRDO ने कहा कि इस परीक्षण ने पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में पैदा हुआ मलबा 45 दिनों में नष्ट हो जाएगा।
- DRDO ने कहा
- भारत ने जमीन से ही सीधे टारगेट को हिट करने की अपनी क्षमता साबित की है।
- DRDO ने नासा के उन सवालों का जवाब दिया जिसमें कहा जा रहा था कि ASAT के परीक्षण से ISS के लिए खतरा पैदा हो गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नासा के उन सवालों का जवाब दिया जिसमें कहा जा रहा था कि एंटी सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) के परीक्षण से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए खतरा पैदा हो गया है। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि इस परीक्षण से पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में पैदा हुआ मलबा 45 दिनों में नष्ट हो जाएगा और इससे स्पेस स्टेशन को किसी तरह का खतरा नहीं है।
डीआरडीओ ने शनिवार को नई दिल्ली में मिशन शक्ति परियोजना पर मीडिया को संबोधित किया और ASAT के तकनीकी पहलुओं पर मीडिया को जानकारी दी। इस दौरान डीआरडीओ ने मिशन शक्ति का प्रजेनटेशन भी दिया। डीआरडीओ प्रमुख रेड्डी ने कहा कि पीएम मोदी ने 2016 में मिशन शक्ति को हरी झंडी दी थी और रिकॉर्ड 2 साल में करीब 150 वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया। रेड्डी ने कहा, डिफेंस का सबसे अच्छा तरीका डिटरेंस है। उन्होंने कहा, भारत ने जमीन से ही सीधे टारगेट को हिट करने की अपनी क्षमता साबित की है।
सतीश रेड्डी ने कहा कि अंतरिक्ष में मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जैसे ग्लोबल ऐसेट को मलबे के खतरे बचाने के लिए मिशन शक्ति में लोअर ऑर्बिट को चुना गया। डीआरडीओ प्रमुख का यह बयान इसरो के वैज्ञानिक के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि चीन ने 800 किलोमीटर की ऊंचाई पर ऐसा ही एक एक्सपेरिमेंट किया था जहां हवा का दबाव ज्यादा नहीं है। इसका मलबा अभी भी अंतरिक्ष में उड़ रहा है।
बता दें कि अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने भारत के एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण के बाद कहा था कि इस परीक्षण के कारण भारतीय सैटेलाइट के 400 टुकड़े पृथ्वी की नीचली कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। इसके चलते इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और उसमें रह रहे एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरा पैदा हो गया है। नासा प्रमुख जिम ब्राइडनस्टाइन ने अपने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा था "हम भारतीय सैटेलाइट के टुकड़ों को ट्रैक करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक हमने 10 सेमी या उससे बड़े 60 टुकड़ों को ट्रैक किया है। 24 टुकड़े आईएसएस के पास चक्कर लगा रहे हैं, यह खतरनाक साबित हो सकते हैं। नासा चीफ ने यह भी कहा था कि आईएसएस से टुकड़ों के टकराने का खतरा 44% तक बढ़ चुका है। हालांकि यह खतरा समय के साथ कम हो जाएगा क्योंकि वायुमंडल में प्रवेश के साथ ही मलबा जल जाएगा।
यहां हम आपको ये भी बता दें कि यूनाइटेड नेशन ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स (UNOOSA) के अनुसार, वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में ट्रेक की गई 19,000 आर्टिफीशियल ऑब्जेक्ट में से केवल 1400 कार्यात्मक सैटेलाइट हैं। बाकी सभी ऑब्जेक्ट को सामूहिक रूप से "अंतरिक्ष मलबे" के रूप में जाना जाता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक अनुमान के अनुसार, ऑर्बिट में 34,000 से अधिक टुकड़े हैं जो आकार में 10 सेमी से बड़े हैं। 1 सेमी और 10 सेमी के बीच के करीब 10 लाख टुकड़े और एक सेंटीमीटर से कम आकार के टुकड़ों की संख्या 1 करोड़ 28 लाख के करीब है।
भारत ने 27 मारच को लो अर्थ ऑर्बिट में एंटी सैटेलाइट मिसाइल से 3 मिनट के अंदर लाइव सैटेलाइट को मार गिराया था। इस प्रोजेक्ट को मिशन शक्ति नाम दिया गया था। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिसके पास लो अर्थ ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर राष्ट्र को इस बारे में जानकारी दी थी।
#WATCH Defence Research and Development Organisation releases presentation on #MissionShakti pic.twitter.com/4llQ1t3JUG
— ANI (@ANI) April 6, 2019