वित्त मंत्रियों की बैठक में उठी राजस्थान को स्पेशल कैटेगरी दिये जाने की मांग

दिल्ली वित्त मंत्रियों की बैठक में उठी राजस्थान को स्पेशल कैटेगरी दिये जाने की मांग

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-30 13:01 GMT
वित्त मंत्रियों की बैठक में उठी राजस्थान को स्पेशल कैटेगरी दिये जाने की मांग
हाईलाइट
  • आगामी बजट के संबंध में हुई वित्त बैठक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । राजस्थान के तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्राी डॉ. सुभाष गर्ग ने मांग रखी कि राज्य (राजस्थान) की कॉस्ट ऑफ सर्विस डिलीवरी अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है, ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा राजस्थान को स्पेशल कैटेगरी का दर्जा दिया जाए।

डॉ गर्ग गुरुवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ आगामी बजट के संबंध में हुई बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार की इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली पॉलिसीज की बदौलत, राजस्थान देश के सबसे बड़े इंवेस्टमेंट हब के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में 24 एवं 25 जनवरी, 2022 को इन्वेस्टमेंट राजस्थान समिट भी होने वाला है, इसमें अभी तक साढ़े 5 लाख करोड़ रूपये से अधिक के 487 समझौते हो चुके हैं, जिनसे लगभग 3 लाख 28 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

डॉ गर्ग ने बैठक में मांग रखी कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही मरूस्थलीय एवं आदिवासी क्षेत्रों की मुख्य 5 पांच परियोजनाओं को स्वीकृत कर 100 प्रतिशत खर्चा केन्द्र सरकार को वहन करना चाहिये। ऐसा करने से पूरे राजस्थान में निवेश का माहौल सुधरेगा। डॉ गर्ग ने कहा कि जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार का वित्त पोषण अनुपात 90:10 का किया जाना चाहिए। साथ ही इस योजना में केन्द्रांश के पुनर्भरण की अवधि को 2 वर्ष के लिए बढ़ाकर मार्च, 2026 की जानी चाहिए।

डॉ गर्ग ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। ऐसे में राजस्व घाटा अनुदान को वर्ष 2022-23 के लिए 4862 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 9878 करोड़ रुपए किया जाना चाहिए तथा उक्त अनुदान को 2023-24 से 2025-26 की अवधि में जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने बैठक में मांग रखी कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों में शिथिलता दी जानी चाहिए। यह शिथिलता देते हुए सामान्य उधार सीमा को वर्ष 2021-22 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पादन का 5.0 प्रतिशत तथा वर्ष 2022-23 से वर्ष 2024-25 के लिए 4.5 प्रतिशत किया जाना चाहिए।

डॉ गर्ग ने कहा कि वर्तमान में सोने और चांदी पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत और प्लेटिनम पर 10 प्रतिशत है। इसे घटाकर 4 प्रतिशत किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय उत्पाद दुबई, सिंगापुर आदि से प्रतिस्पर्धा कर सकें। इसके साथ ही उन्होने अनुरोध किया कि विदेशी आयात के कारण भारी घाटे में चल रहे स्थानीय खनन उद्योग को बचाने के लिए विट्रिफाईड टाइल्स के आयात पर वर्तमान बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत की जानी चाहिए।

 

(आईएएनएस)

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