स्कूलों की स्थति पर नोटिस का जवाब न मिलने पर दिल्ली महिला आयोग ने निगम आयुक्त को किया समन

नई दिल्ली स्कूलों की स्थति पर नोटिस का जवाब न मिलने पर दिल्ली महिला आयोग ने निगम आयुक्त को किया समन

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-02 13:00 GMT
स्कूलों की स्थति पर नोटिस का जवाब न मिलने पर दिल्ली महिला आयोग ने निगम आयुक्त को किया समन
हाईलाइट
  • तीनों नगर निगमों के एकीकरण का हवाला

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने निगम आयुक्त को मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट के साथ संबंधित फाइलों और दस्तावेजों के साथ 9 जून को आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए समन किया है।

आयोग ने 23 मई को नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे में नगर निगम द्वारा उठाए गए तत्काल कदमों की विस्तृत जानकारी देने के बजाय, निगम ने आयोग से अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए दो महीने का समय मांगा है और देरी के लिए हाल ही में हुए तीनों नगर निगमों के एकीकरण का हवाला दिया है।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, यह बहुत ही चकित करने वाला है कि हमारी रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई के बजाय, दिल्ली नगर निगम ने प्राथमिक छात्रों की सुरक्षा की तरफ से आंखें मूंद ली हैं।

नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता ने लाखों बच्चों की जान दांव पर लगा दी है और अब आयोग को जवाब देने के लिए दो महीने का समय मांगा है।गलत प्रबंधन और लापरवाही के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता है और हम नगर निगम को ऐसे नहीं जाने देंगे। मैंने नगर निगम आयुक्त को एक सप्ताह के भीतर आयोग के समक्ष पेश होने और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने के लिए समन जारी किया है।

आयोग ने अब नगर निगम आयुक्त को समन जारी कर विस्तृत जवाब देने के साथ-साथ उस फाइल की कॉपी मांगी है जिस पर आयोग द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। आयोग ने अपने समन में कहा है कि, नगर निगम स्कूलों में खतरनाक परिस्थितियों में पढ़ने वाली छात्राओं सहित लाखों छात्रों को गंभीर खतरे का सामना करने के बावजूद नगर निगम इतनी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने में विफल रहा है।

आयोग ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की है कि, विभाग ने अभी तक आयोग द्वारा दौरा किए गए स्कूलों की दयनीय स्थिति में सुधार के लिए गंभीर कदम नहीं उठाए हैं। आयोग ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम इन स्कूलों की निराशाजनक और असुरक्षित स्थितियों को सुधारने के लिए गंभीर नहीं है और मांगी गई जानकारी देने में नगर निगम की विफलता निगम में गंभीर प्रशासनिक कुप्रबंधन और दुखद स्थिति को दर्शाता है।

आयोग ने आगे कहा है कि नगर निगम से अपेक्षा की जाती है कि स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा के मुद्दे पर तेजी से कार्रवाई करे और तुरंत सुधारात्मक उपाय करने किये जाएं। आयोग ने अपने समन में कहा है कि नगर निगम स्कूलों में व्याप्त कमियों को सुधारने में किसी भी तरह की देरी के लिए निगम आयुक्त का कार्यालय घोर आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार होगा।

दरअसल आयोग की टीम ने स्कूल भवनों का निरीक्षण के दौरान छात्रों, शिक्षकों और स्कूल के अन्य कर्मचारियों के साथ बातचीत भी की। निरीक्षण के दौरान आयोग द्वारा कई स्पष्ट अनियमितताएं और महत्वपूर्ण कमियां देखी गईं। यह देखा गया कि स्कूल भवनों में से 800 बच्चों वाले एक स्कूल का छज्जा क्षतिग्रस्त होने के कारण स्कूल को नगर निगम द्वारा उपयोग के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

एक स्कूल के मैदान से इस्तेमाल की गई नशीली दवाएं और शराब की बोतलें बरामद की गईं। एक स्कूल में शौचालय बंद पाए गए और लड़कियां खुले में शौच करने के लिए मजबूर थीं। स्कूलों में सीसीटीवी और सुरक्षा गार्ड नहीं थे।

 

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