High-level meeting: रक्षा मंत्री की बैठक में फैसला, सेना को खुली छूट, खतरे में पड़ी जान तो अब कर सकते हैं फायरिंग
High-level meeting: रक्षा मंत्री की बैठक में फैसला, सेना को खुली छूट, खतरे में पड़ी जान तो अब कर सकते हैं फायरिंग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को हाई-लेवल मीटिंग की। इस बैठक में तीनों सेना के प्रमुखों के अलावा सीडीएस बिपिन रावत शामिल हुए। मीटिंग में लद्दाख में जमीनी हालात की पूरी समीक्षा की गई। बैठक में तय किया गया कि अगर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन किसी भी तरह का आक्रमक व्यवहार करता है तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने सेना को खुली छूट दे दी है। अगर सीमा पर चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों की जान खतरे में डालते हैं तो भारतीय सेना फायरिंग कर सकती है। बता दें कि भारत और चीन के बीच 1996 में एलएसी पर फायरिंग और गोलाबारी ना करने की संधि हुई थी।
एक महीने से ज्यादा समय से चल रहा विवाद
भारत और चीन के बीच पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। पांगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए। चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोली नहीं चली।
चीन के दावे को भारत ने नकारा
शनिवार को गलवान घाटी पर एक बार फिर चीन का दावा पेश करने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि क्षेत्र के संबंध में स्थिति ऐतिहासिक रूप से स्पष्ट है। चीन का दावा किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं। चीन के दावे पूर्व में उसकी खुद की पोजीशन के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक भारत और चीन के सीमावर्ती इलाकों में सभी सेक्टरों में एलएसी की स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि LAC के पार भारत ने कभी एक्शन नहीं लिया।