चीन और भारत के एक दूसरे का उपभोग करने वाले प्रतिद्वंद्वी नहीं होने की आशा
संबंधों में बाधाओं का सामना चीन और भारत के एक दूसरे का उपभोग करने वाले प्रतिद्वंद्वी नहीं होने की आशा
- सीमा संबंधी समस्या का समान परामर्श
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीनी विदेश मंत्री वांग ने 7 मार्च को चीन-भारत संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंधों को कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ा है और यह स्थिति दोनों देश और दोनों देशों के लोगों के मौलिक हितों के पूरी तरह से अनुरूप नहीं है। आशा है कि भारत चीन के साथ एक दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं, बल्कि विकास के अवसर की रणनीतिक सहमति का पालन करेगा, आपसी विश्वास बढ़ाएगा, गलतफहमियों से बचेगा। दोनों देशों को एक दूसरे के भागीदार बनना और एक-दूसरे का उपभोग करने वाले प्रतिद्वंद्वी नहीं होना चाहिए, ताकि द्विपक्षीय संबंधों की निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
13वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा (एनपीसी) के पांचवें सत्र के दौरान आयोजित संवाददाता सम्मेलन में वांग यी ने कहा कि हमने देखा है कि कुछ ताकतें हमेशा चीन और भारत के बीच संघर्ष को भड़काने और क्षेत्रों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। और यह प्रथा अधिक से अधिक लोगों के सोचना और सतर्कता को बढ़ा रही है। हम अधिक से अधिक गंभीरता से जानते हैं कि चीन और भारत जैसे बड़े देश केवल स्वतंत्रता पर कायम रहने से अपने भाग्य को अपने हाथ में दृढ़ता से पकड़ सकते हैं, और अपने देशों के विकास और पुनरुद्धार को प्राप्त कर सकते हैं।
वांग यी ने जोर देकर कहा कि चीन हमेशा इस बात की वकालत करता है कि इतिहास द्वारा छोड़ी गई सीमा संबंधी समस्या का समान परामर्श के जरिए समाधान किया जाना चाहिए। चीन हमेशा से मानता है कि इतिहास द्वारा छोड़ी गई समस्याओं को चीन-भारत संबंधों, खासकर दोनों देशों के बीच सहयोग की समग्र स्थिति को प्रभावित करने से रोकने की जरूरत है। संवाददाता सम्मेलन में मंत्री वांग यी ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा प्रस्तुत इंडो-पैसिफिक रणनीति प्रतिधारा के रूप में क्षेत्रीय देशों के शांति व विकास की खोज, सहयोग के संवर्धन और उभय जीत की प्राप्ति वाले इरादे के विपरीत है, जिसका कोई भविष्य नहीं होना तय है।
वांग यी ने कहा कि अमेरिका की तथाकथित इंडो-पैसिफिक रणनीति समूह राजनीति का समानार्थी शब्द बनता जा रहा है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नष्ट पहुंचता है। इसका मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक संस्करण वाला नाटो की स्थापना कर अमेरिका की प्रधानता वाले आधिपत्य व्यवस्था की रक्षा करना है। इससे आसियान-केंद्रित क्षेत्रीय सहयोग संरचना पर कुप्रभाव पड़ेगा और क्षेत्रीय देशों के समग्र और दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचेगा।
वांग यी ने बल देते हुए कहा कि चीन विभिन्न पक्षों के साथ मिलकर छोटे ग्रुप वाले इंडो-पैसिफिक का बहिष्कार करना, और एशिया-प्रशांत बड़े सहयोग वाले महा मंच का सह-निर्माण करना चाहता है, ताकि हाथ मिलाकर एशिया-प्रशांत साझे भाग्य वाले समुदाय की स्थापना की जा सके। बेल्ट एंड रोड से संबंधित मुद्दे की चर्चा करते हुए मंत्री वांग यी ने कहा कि महामारी जैसे कारकों के प्रभाव के बावजूद, बेल्ट एंड रोड के सह-निर्माण का अभी भी बेहतर विकास रूझान बना हुआ है।
उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि 2021 में और 10 देशों ने चीन के साथ बेल्ट एंड रोड सहयोग दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। इस तरह बेल्ट एंड रोड के सह-निर्माण वाले बड़े परिवार में 180 सदस्य हो गए हैं। चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड के सह-निर्माण को बढ़ावा देता रहेगा, ताकि बेल्ट एंड रोड को दुनिया को लाभ पहुंचाने वाले विकास बेल्ट और विभिन्न देशों के लोगों को लाभ पहुंचाने वाले सुखमय मार्ग को बनाया जा सके।
(आईएएनएस)