अयोध्या विवाद: मुस्लिम लॉ बोर्ड ने मीडिया पर भीड़ को उकसाने और दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया
अयोध्या विवाद: मुस्लिम लॉ बोर्ड ने मीडिया पर भीड़ को उकसाने और दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा है कि मीडिया का एक धड़ा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन अयोध्या मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने के दौरान भीड़ को उकसाने और दुष्प्रचार करने में लगा हुआ है। एआईएमपीएलबी ने एक बयान जारी कर कहा कि मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक बड़ा धड़ा भीड़ को उकसाने और दुष्प्रचार फैलाने में संलिप्त है। ऐसी रिपोर्टिंग से देश के नागरिकों में नफरत फैलाने और दुश्मनी फैलने में मदद मिलती है।
बोर्ड ने कहा कि प्रेस के कुछ हिस्से को छोड़कर एक बड़े वर्ग ने अयोध्या मामले की रिपोर्टिंग ऐसे तरीके से करनी शुरू कर दी है, जो रिपोर्टिंग में तटस्थता के मूल सिद्धांत का उल्लंघन है। बोर्ड ने मीडिया से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की कवरेज के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड एसोसिएशन (एनबीएसए) द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया। बयान में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले की रिपोर्टिंग प्रेस की स्वतंत्रता की आड़ में कानूनी नजरिए से बिना किसी विशेषण, व्यक्तिगत विचार, पूर्वाग्रह, पक्षपातपूर्ण या भावुक संदर्भ बनाए होनी चाहिए।
धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों ने की शांति बनाने की अपील
ज्ञात हो कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेताओं ने प्रमुख मुस्लिम संगठनों से मंगलवार को मुलाकात की थी। नई दिल्ली में हुई इस बैठक में मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों ने चर्चा के बाद कहा था कि सभी को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करना चाहिए। बैठक के बाद भाजपा और आरएसएस के नेताओं ने कहा कि फैसला जो भी हो, लेकिन इसको लेकर "जुनूनी जश्न" और "हार का हंगामा" जैसी अतिवादी प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के निवास पर हुई इस बैठक में आरएसएस नेता कृष्ण गोपाल और रामलाल के साथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी, शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद और फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली शामिल हुए।
सात दिनों में आ सकता है अयोध्या विवाद पर फैसला
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगले सात दिनों में आ सकता है। इसका कारण यह है कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उनके कार्यकाल के सिर्फ सात कार्य दिवस ही बचे हैं। साफ है कि सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इन्हीं दिनों में फैसला सुना सकती है।
उत्तर प्रदेश में केंद्रीय शस्त्र पुलिस बल के 4 हजार जवान तैनात
उधर, केंद्र सरकार ने इस फैसले के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय शस्त्र पुलिस बल के करीब 4 हजार जवानों को उत्तर प्रदेश भेजा है। यह पुलिस बल 18 नवंबर तक राज्य में तैनात रहेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते सोमवार को ही इस संबंध में फैसला लिया है। इसमें मंत्रालय ने तुरंत प्रभाव से पैरामिलिट्री फोर्स की 15 कंपनियों को भेजने की मंजूरी दी। मंत्रालय के आदेश के मुताबिक पैरा मिलिट्री फोर्स की 15 कंपनियों के अलावा बीएसएफ, आरएएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की तीन-तीन कंपनियां भेजने को भी मंजूरी दी गई है।