अयोध्या मामला: सुनवाई में मुस्लिम पक्ष का यू टर्न, बोले- राम चबूतरे को नहीं माना राम जन्मस्थान
अयोध्या मामला: सुनवाई में मुस्लिम पक्ष का यू टर्न, बोले- राम चबूतरे को नहीं माना राम जन्मस्थान
- अयोध्या मामला: SC में सुनवाई का 31वां दिन
- कोर्ट ने माना था कि राम चबूतरा जन्मस्थान है
- सुन्नी वक्फ बोर्ड को स्वीकार नहीं कि राम चबूतरा राम का जन्मस्थान है
डिजिटल डेस्क नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज (बुधवार) राम मंदिर और बाबरी ढांचा जमीन विवाद पर सुनवाई जारी रही। इस मामले पर सुनवाई का आज 31वां दिन था। सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा और जफरयाब जिलानी ने अपनी दलीलें पेश की। जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड (ASI) को यह कतई स्वीकार नहीं कि राम चबूतरा राम का जन्मस्थान है।
बता दें कि सुनवाई के 30वें दिन (मंगलवार) मुस्लिम पक्षकारों ने डिस्ट्रिक्ट जज के आदेश पर कहा था कि "जब कोर्ट का आदेश है तो हम इससे अलग कैसे हो सकते हैं।" मुस्लिम पक्ष की पैरवी कर रहे जिलानी के अनुसार 1885 में डिस्ट्रिक्ट जज ने कहा था कि राम चबूतरा राम का जन्मस्थान है। हमने अपनी ओर से कभी नहीं कहा कि ये राम का जन्मस्थान है। इस पर जब जस्टिस बोबडे ने कहा कि "उनके गेजेटियर में कहा गया है कि राम चबूतरा ही राम का जन्मस्थान है और केंद्रीय गुम्बद से 40-50 फीट की दूरी पर है", तो जिलानी ने बताया कि ये हिन्दुओं की मान्यता है और इस मामले में डिस्ट्रिकट जज की ऑब्जरवेशन के बाद हमने इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया।
जिलानी के बाद मुस्लिम पक्षधर मीनाक्षी अरोड़ा ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर बहस शुरू करते हुए कहा कि 1855 में ही रघुबर दास ने मंदिर बनाने की इजाज़त मांगी थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। रघुबर दास ने ही राम चबूतरे पर मंदिर बनाने का दावा किया था। मीनाक्षी ने कहा कि हमें यह जानना होगा कि पुरातत्व क्या है?
बता दें कि पुरातत्व विभाग ने कहा था कि ASI रिपोर्ट को पूरी तरह से सटीक नहीं माना जा सकता क्योंकि यह निष्कर्षों, तथ्यों और राय पर आधारित है, इसलिए इसे मजबूत साक्ष्य नहीं माना जा सकता। इसी के साथ मीनाक्षी ने भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर पुरातात्विक सबूतों को बिल्कुल पुख्ता ना कहते हुए बताया कि पुरातत्व विज्ञान भौतिकी या रसायन विज्ञान की तरह नहीं है। यह एक सामाजिक विज्ञान है जिस पर यकीन नहीं किया जा सकता।
अंग्रेजों ने किया विभाजन
जस्टिस भूषण ने बताया कि अंग्रेजों ने इस जगह को दो हिस्सों में विभाजित किया था। एक अंदरूनी कोर्टयार्ड और दूसरा बाहरी कोर्टयार्ड, इसलिए हिन्दुओं ने बाहरी कोर्टयार्ड में पूजा करनी शुरू कर दी थी। इसके अलावा जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी कहा कि सभी गेजेटियर इस बात का इशारा करते हैं कि राम चबूतरे पर ही भगवान राम का जन्म हुआ। इस पर जिलानी ने कहा कि 1950 से 1989 की अवधि से पहले जन्मस्थान को लेकर ये विवाद नहीं था कि वह मस्जिद के अंदर है या बाहर।