सम्मेद शिखर को बचाने के लिए एक और जैन मुनि ने त्यागे प्राण, 3 दिन से आमरण अनशन पर थे
सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन सम्मेद शिखर को बचाने के लिए एक और जैन मुनि ने त्यागे प्राण, 3 दिन से आमरण अनशन पर थे
- केंद्र सरकार ने वापस लिया अपना आदेश
डिजिटल डेस्क, जयपुर। जैन तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल बनाने के झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ आमरण अनशन कर रहे जैन मुनि समर्थ सागर ने अपने प्राण त्याग दिए हैं। उन्होंने जयपुर के सांगानेर स्थित संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर में अंतिम सांस ली। उनसे पहले एक और जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने भी इसी मंदिर में अपने प्राण त्याग दिए थे। वह 10 दिनों से सम्मेद शिखर को बचाने के लिए आमरण अनशन पर बैठे थे।
आज सुबह जैसे ही जैन समुदाय के लोगों को समर्थ सागर महाराज के देह त्यागने की खबर मिली, वैसे ही बड़ी संख्या में वह मंदिर में उनके दर्शन के लिए एकत्रित होने लगे। इसके बाद जैन मुनि की डोल यात्रा को संघीजी मंदिर से लेकर विद्याधर नगर तक निकाला गया। इस दौरान जैन मुनि शशांक सागर ने मीडिया से कहा कि जब तक झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करती तब तक जैन मुनि ऐसे ही बलिदान देते रहेंगे।
देर रात त्यागे प्राण
जैन मुनि समर्थसागर ने 6 जनवरी की सुबह 1 बजे के करीब अपने प्राण त्यागे। संघीजी मंदिर के मंत्री ने बताया कि समर्थसागर महाराज ने अपनी देह सम्मेद शिखर को बचाने के लिए त्यागी है। उन्होंने बताया कि जब सुज्ञेयसागर महाराज ने आमरण अनशन करते हुए अपने प्राण त्यागे थे तब समर्थसागर महाराज ने धर्मसभा के दौरान आमरण अनशन करने का प्रण लिया था।
केंद्र सरकार ने वापस लिया अपना आदेश
इससे पहले 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। बता दें कि इसी पहाड़ी पर जैन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक सम्मेद शिखरजी स्थित है। केंद्र ने इस स्थान पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर तीन साल पहले जारी किए अपने आदेश को वापस ले लिया।
इसके साथ ही केंद्र ने राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वह पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तुरंत सभी जरूरी कदम उठाए।
हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद भी जैन समुदाय का विरोध प्रदर्शन जारी है। जैन समाज का कहना है कि केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकार जब तक इस पर पूरी तरह निर्णय से नहीं लेती, तब तक विरोध जारी रहेगा। अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ के अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि मुनि सुज्ञेय सागर और मुनि समर्थ सागर महाराज के त्याग को भुलाया नहीं जाएगा। सम्मेद शिखर जैन तीर्थ था, है और रहेगा। सरकार को इसे हर हाल में तीर्थ स्थल घोषित करना होगा। अगर हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो जैन समाज मुनिराजों के रास्ते पर चलकर अपनी देह त्यागने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा।
बता दें कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। इस पहाड़ी पर जैन समुदाय का सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखरजी स्थित है।