एएन-32 हादसा: 13 शवों के साथ 12 हजार फीट की ऊंचाई पर फंसी बचावकर्मियों की टीम

एएन-32 हादसा: 13 शवों के साथ 12 हजार फीट की ऊंचाई पर फंसी बचावकर्मियों की टीम

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-29 09:28 GMT
एएन-32 हादसा: 13 शवों के साथ 12 हजार फीट की ऊंचाई पर फंसी बचावकर्मियों की टीम
हाईलाइट
  • विमान ने अरुणाचल प्रदेश के शी योमी जिले के मेचुका के लिए उड़ान भरी थी
  • 12 जून से पहाड़ियों के बीच फंसी है टीम
  • शव ढूंढने गई थी 12 बचावकर्मियों की टीम

डिजिटल डेस्क, ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में दुर्घटना का शिकार हुए एएन-32 विमान में सवार 13 लोगों के शव ढूंढने वाली 12 बचावकर्मियों की टीम दुर्घटनास्थल पर ही फंसी हुई है। टीम मौसम सुधरने का इंतजार कर रही है, ताकि हेलीकॉप्टर के जरिए उन्हें लाया जा सके।

दुर्घटनाग्रस्त विमान को ढूंढने गए बचावकर्मी 12 जून से ही पहाड़ियों के बीच फंसे हुए हैं। विमान का मलबा और ब्लैक बॉक्स ढूंढने के लिए बचावकर्मियों को एयरड्रॉप किया गया था। पश्चिमी सिआंग जिले के सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी गिजुम ताली के मुताबिक भारतीय वायुसेना के नौ कर्मियों, नागरिक पर्वतारोही ताक तमुत और उनके दो साथियों को शी योमी जिला प्रशासन ने तैनात किया है, ताकि हेलीकॉप्टर सेवा बंद होने पर वे "फुट ट्रैक" के जरिए मार्गदर्शन कर सकें।

विमान के मलबे से 13 शव और ब्लैक बॉक्स इकट्ठा करने के बाद टीम पिछले 17 दिनों से 12 हजार फीट की उंचाई  पर फंसी है। बता दें कि तीन जून को रूसी एएन-32 विमान असम के जोरहाट से उड़ान भरने के 33 मिनट बाद लापता हो गया था। विमान ने अरुणाचल  प्रदेश के शी योमी जिले के मेचुका के लिए उड़ान भरी थी।

जोरहाट से भरी थी एयरक्राफ्ट ने उड़ान
बता दें कि AN-32 एयरक्राफ्ट में क्रू मेंबर सहित 13 लोग सवार थे। असम के जोरहाट से 12.25 बजे एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी थी। अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर एयरक्राफ्ट को दोपहर 1.30 बजे लैंड करना था, लेकिन 1 बजे के बाद एयरक्राफ्ट का ग्राउंड एजेंसीज से संपर्क टूट गया था। मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में मेचुका घाटी में स्थित है। यह मैकमोहन लाइन के पास भारत-चीन सीमा के सबसे नज़दीकी लैंडिंग ग्राउंड है।

मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का महत्व
समुद्र तल से लगभग 1830 मीटर की ऊंचाई पर और चीन सीमा के करीब स्थित, मेचुका चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान कई रणनीतिक स्थानों में से एक था। लंबे समय तक इस साइट का उपयोग नहीं किया गया। साल 2013 में इसे रिकंस्ट्रक्ट करने का निर्णय लिया गया। IAF वर्क्स विभाग ने 30 महीनों के रिकॉर्ड समय में कार्य पूरा किया। ईटानगर से सड़क मार्ग से लगभग 500 किलोमीटर दूर, मेचुका चीन सीमा से केवल 29 किलोमीटर दूर है और पहले से ही सीमांत राज्य में एक प्रमुख पर्यटक सर्किट का हिस्सा है।
 

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