Delhi Election: केजरीवाल की वो 3 चालें, जिससे दिल्ली में बनें 'AAPराजित' और विरोधियों को किया धराशाई
Delhi Election: केजरीवाल की वो 3 चालें, जिससे दिल्ली में बनें 'AAPराजित' और विरोधियों को किया धराशाई
- दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार
- सीधे रास्ते पर चलकर हासिल की जीत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी (AAP) ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की। AAP ने 70 विधानसभा सीटों में से 62 सीटों पर कब्जा किया और भाजपा को महज 8 सीटों पर ही जीत मिली। वहीं 2015 के चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस अपना खाता खाली रहा। दरअसल सीएम केजरीवाल ने इस चुनाव के दौरान बहुत चतुर नेता होने का परिचय दिया। न लेफ्ट और न राइट, बल्कि उन्होंने खुद को एक ऐसे बिंदु पर खड़ा रखा, जहां से वह सभी पर निशाना साधने में सफल हुए।
अल्पसंख्यक सीटों पर शानदार जीत
यह सीएम केजरीवाल की चतुराई ही कही जाएगी कि उनके दामन पर सांप्रदायिक होने का टैग भी नहीं लगा और मुस्लिमों का एकतरफा वोट भी झटक लिए। मुस्लिम बाहुल ओखला, मटिया महल, सीलमपुर, बल्लीमरान, मुस्तफाबाद आदि सीटों पर 20 हजार से लेकर 71 हजार से अधिक वोटों के भारी अंतर से AAP प्रत्याशियों की जीत इसका नजीर है। सीएम केजरीवाल को बहुसंख्यकों से लेकर अल्पसंख्यकों तक, सबने पसंद किया। इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी लगातार दूसरी बार 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर सत्ता में आने में सफल रही।
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शाहीनबाग प्रदर्शन से दूरी
भाजपा के शाहीनबाग के रूप में फेंके जाल में सीएम केजरीवाल नहीं फंसे। कांग्रेस के नेताओं ने भले शाहीनबाग जाकर मंच साझा किया, मगर केजरीवाल ने एक बार भी वहां का दौरा नहीं किया। उल्टे जब भाजपा ने शाहीनबाग के पीछे आम आदमी पार्टी का हाथ होने की बात कही तो केजरीवाल ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि वह चाहते हैं कि सड़क खाली हो जाए। यहां सीएम केजरीवाल एक बार फिर संतुलन साधने में सफल रहे। उन्होंने शाहीनबाग के खिलाफ भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिससे मुस्लिम वर्ग में किसी तरह की नाराजगी पैदा हो।
CAA पर भी नहीं तोड़ी चुप्पी
मोदी सरकार के जिस नागरिकता संशोधन कानून पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ, उस पर भी अरविंद केजरीवाल मुखर नहीं दिखे। उन्हें लगा कि जिस तरह से भाजपा ने पाकिस्तान में प्रताड़ित हिंदू आदि अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलने को मुद्दा बनाया है, उसका विरोध करने पर भाजपा उन पर तुष्टीकरण के आरोप आसानी से मढ़ सकती है, इसलिए वह CAA पर चुप्पी साधे रहे। इस तरह से केजरीवाल ने बहुसंख्यक मतदाताओं के मन में भी किसी तरह की शंका होने से रोक दी।
भगवान हनुमान की भक्ति
वहीं, चुनाव के आखिरी क्षणों में केजरीवाल ने हनुमान मंदिर में दर्शन करने का दांव खेलकर भाजपा को असहज कर दिया। आतंकवादी कहकर केजरीवाल की घेराबंदी करने में जुटी भाजपा के पास अब हनुमान भक्त केजरीवाल भारी पड़ते दिखे। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी उन्हें नकली हनुमान भक्त ठहराते नजर आए।
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राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुत चालाकी से कैंपेनिंग की। वह वाम या दक्षिण की राजनीति की जगह मध्यमार्गी बनने की कोशिश करते रहे। भाजपा के हर मुद्दे का वह काट निकालने में सफल रहे। हनुमान भक्त बनकर बहुसंख्यकों को भी रिझा गए और सेकुलर इमेज के जरिए अल्पसंख्यकों का भी एकमुश्त वोट झटक ले गए।