वानिकी हस्तक्षेपों के जरिए 13 प्रमुख नदियों का होगा कायाकल्प
नई दिल्ली वानिकी हस्तक्षेपों के जरिए 13 प्रमुख नदियों का होगा कायाकल्प
- नदी कायाकल्प योजना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार को भारत भर में 13 प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों के लिए वानिकी हस्तक्षेप के माध्यम से एक महत्वाकांक्षी नदी कायाकल्प योजना शुरू की गई। मंत्रालय का लक्ष्य है कि वानिकी के हस्तक्षेप से नदियों के किनारे मिट्टी का कटाव रुकेगा और इन 13 नदियों के परिदृश्य में 7,417.36 वर्ग किलोमीटर के संचयी वन क्षेत्र से भूजल फिर से संचित होगा।
उम्मीद है कि प्रस्तावित हस्तक्षेप से 10 साल पुराने वृक्षारोपण से 50.21 मिलियन टन कार्बन डायऑक्साइड और 20 साल पुराने वृक्षारोपण से 74.76 मिलियन टन डायऑक्साइडके अवशोषण में मदद मिलेगी। झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी और लूनी नदियों के लिए वानिकी हस्तक्षेप के माध्यम से कायाकल्प पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी की गई। इन डीपीआर को मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय वनीकरण और पारिस्थितिकी विकास बोर्ड द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई), देहरादून द्वारा तैयार किया जाता है।
ये 13 नदियां सामूहिक रूप से 16,11,149 वर्ग किमी के कुल बेसिन क्षेत्र को कवर करती हैं। ये देश के भौगोलिक क्षेत्र का 49.01 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करती हैं। चित्रित नदी-शैलियों के भीतर उनकी सभी सहायक नदियों (कुल मिलाकर 202) सहित 13 नदियों की लंबाई 42,830 किमी है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि कैसे डीपीआर में कई मंत्रालयों के बजट के अभिसरण की परिकल्पना की गई है और यह ग्रीन इंडिया मिशन 2 का हिस्सा होगा।
उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय को समुदाय को संदेश देने की जरूरत है। वह भी ऐसी भाषा में, जिसे जनता समझ सके। लोगों की भागीदारी के बिना कोई भी योजना, समुदाय सफल नहीं होगा और इसलिए वानिकी हस्तक्षेप के साथ हमें इसे सामुदायिक भागीदारी की जरूरत है। जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूरे अभ्यास को अत्यधिक आवश्यक पहल करार देते हुए कहा, हम जल (पानी), जंगल और जमीन (भूमि) के संरक्षक हैं और जैसा हमें मिला या उससे भी बेहतर, इसे भविष्य की पीढ़ी को सौंपने के लिए बाध्य हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव लीना नंदन ने कहा, ये रिपोर्ट उन कार्यो का मुख्य आधार होने जा रही हैं, जिन्हें मंत्रालय आगे बढ़ाएगा, ताकि हमारी जीवनरेखा के प्रति हमारी जिम्मेदारी पूरी तरह से समझ में आ सके। 13 डीपीआर का प्रस्तावित संचयी बजट परिव्यय 19,342.62 करोड़ रुपये है। इन डीपीआर को राज्य वन विभागों के माध्यम से नोडल विभागों के रूप में और राज्यों में अन्य लाइन विभागों की योजनाओं के साथ डीपीआर में प्रस्तावित गतिविधियों और केंद्र से वित्त पोषण सहायता की उम्मीद है।
(आईएएनएस)