रामभक्त शबनम: हाथ में भग्वा ध्वज और मुंह पर जय श्रीराम, मुंबई से आयोध्या तक पैदल यात्रा कर रही मुस्लिम महिला, बोलीं - 'राम केवल हिंदूओं के नहीं'
- मुंबई से अयोध्या की पैदल यात्रा पर निकली शबनम
- रोज तय कर रहीं 25 से 30 किमी की दूरी
- मिली पुलिस सुरक्षा
डिजिटल डेस्क, बड़वानी। अयोध्या में रामलला के मंदिर का निर्माण अब अपने अंतिम चरण में है। नए साल में 22 जनवरी को मंदिर के गर्भ में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगी। इस खास मौके को लेकर पूरे देश के हिंदू समुदाय में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। हिंदुओं के साथ-साथ शबनम शेख नाम की एक मुस्लिम महिला भी अयोध्या में बन रहे मंदिर और उसमें विराजमान होने जा रहे भगवान श्रीराम के प्रति अपने मन में भक्ति भाव रखती है। यही कारण है कि शबनम मुंबई से अपने कुछ साथियों के साथ अयोध्या के लिए पदयात्रा पर निकल गई हैं। जय श्री राम का नारा लगाते हुए शबनम अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ते जा रही हैं।
गुरुवार को वह अपने दो साथी रमन राज शर्मा और विनीत पांडे के साथ मध्यप्रदेश के बड़वानी पहुंची। यहां उन्होंने जय श्री राम का नारा लगाते हुए स्थानीय लोगों से मुलाकात की। इस दौरान शबनम ने मीडिया से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि 'राम की भक्ति के लिए हिंदू होना जरूरी नहीं है। भगवान राम सब के हैं और उन्हें पूजने के लिए इंसान के मन का साफ होना जरूरी है। राम केवल भारत के नहीं बल्कि पूरे संसार के हैं।' आपको बता दें कि शबनम को उनकी आयोध्या तक पदयात्रा के लिए पुलिस सुरक्षा भी प्रदान की गई है। इसके साथ ही पुलिस ही उनके खाने और रुकने की व्यवस्था कर रही है।
महिलाएं भी कर सकती हैं पदयात्रा
मीडिया से बातचीत करने के दौरान शबनम ने कहा कि 'उन्हें मुस्लिम होने पर गर्व है। उन्होंने बताया कि इस पदयात्रा के जरिए वो लोगों को एक और संदेश भी देना चाहती हैं।' दरअसल वो सबको बताना चाहती हैं कि पदयात्रा करना सिर्फ पुरूष का ही काम नही है। महिला सशक्तिकरण की पुरजोर समर्थक शबनम का मानना है कि सिर्फ पुरूष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी पदयात्रा कर सकती हैं।
आपत्तियों का डर नहीं
शबनम ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। कई जगह लोग उनके स्वागत में खड़े रहते हैं और ज्यादा भीड़ होने पर पुलिस उन्हें उस स्थान से सुरक्षित से निकाल लाती है। शबनम की यात्रा को लेकर उनके धर्म के कई लोगों ने सोशल मीडिया पर आपत्ति भी जताई है। हालांकि, शबनम को इनकी कोई परवाह नहीं है। उनका कहना है कि 'रास्ते में अबतक उन्हें मुस्लिम समुदाय के कई लोग मिले हैं, जिन्हें देखकर उन्होंने सलाम करने के साथ-साथ जय श्रीराम भी कहा।' इसके अलावा कई दाढ़ी वाले और कुर्ता पजामा पहने लोग भी मिले। जिन्हें उन्होंने जय श्रीराम कह कर संबोधित किया।
उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान कई जगहों पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। शबनम ने बताया कि मैं और मेरे साथी लगातार चल रहे हैं, लेकिन यह पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि कब तक आयोध्या पहुंचेगें। बता दें कि शबनम ने 21 दिसंबर को मुंबई से अपनी पैदल यात्रा शुरू की थी। वो अपने दोनों साथियों के साथ एक दिन में करीब 25 से 30 किलोमीटर पैदल चलती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई से अयोध्या तक की उनकी यह यात्रा करीब 1425 किलोमीटर की रहने वाली है।
बनारस की नाजनीन अंसारी भी हैं रामभक्त
शबनम शेख की तरह बनारस की नाजनीन अंसारी भी मुस्लिम महिला होने के बावजूद एक रामभक्त हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की समर्थक रही हैं और मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने चंदा भी दिया था। नाजनीन का मानना है कि अयोध्या राम भगवान की जन्मभूमि है तो वहां राम मंदिर का निर्माण जरूर होना चाहिए। हनुमान चलीसा के अलावा नाजनीन ने दुर्गा चालीसा सहित अन्य हिंदू ग्रंथो का उर्दू में अनुवाद किया है। उन्होंने राम भगवान की एक आरती भी लिखी है जिसे वो हर साल राम नवमी पर गाती हैं।