भारत का रूस को जवाब: मोदी सरकार ने दिया रूस को झटका, क्रूड ऑयल के लिए चीनी मुद्रा में पेमेंट करने इनकार

  • रूस को मोदी सरकार से मिला झटका
  • रूस, क्रूड ऑयल के लिए चीनी मुद्रा की कर रहा मांग
  • रूसी अर्थव्यवस्था इम्पोर्ट के लिए चीन पर अधिक निर्भर दिखाई दे रही

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-20 18:10 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन और रूस के संबंध बीते कुछ समय से लगातार मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हाल ही में भारत की मेजबानी में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हुए थे।लेकिन इसके बाद रूसी राष्ट्रपति ने चीन पहुंचकर दुनिया के सामने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। माना जा रहा है कि चीन और रूस के बेहतर होते द्विपक्षीय संबंध, पश्चिमी देशों समेत भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।

इसी बीच रूस भारत से क्रूड ऑयल की खरीदी के लिए चीनी मुद्रा में पैसा की डिमांड कर रहा है। लेकिन, खबर है कि भारत सरकार ने कच्चे तेल की डिमांड करने वाले रूसी सपलायर्स को चीनी मुद्रा में पैसे देने से साफ इनकार कर दिया है। भारत सरकार के इस फैसले से रूस को बड़ा झटका लगा है। सरकार के इस फैसले की वजह बीजिंग और नई दिल्ली के बीच लंबे समय से जारी तनाव को बताया जा रहा है।

लाइव हिंदुस्तान के मुताबिक चीनी मुद्रा में क्रूड ऑयल खरीदने वाले मुद्दे पर भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी और सरकारी तेल रिफाइनरी के सीनियर कर्मचारी ने इस मामले में चर्चा की है। बातचीत के दौरान, उन्होंने बताया की रूस के कुछ क्रूड ऑयल सप्लायर्स भारत से युआन में पेमेंट की मांग कर रहे है। इस दौरान, क्रूड ऑयल के निजी मुद्दों पर हुई चर्चा को लेकर दोनों लोगों ने अपनी पहचान न बताने के लिए भी कहा। चर्चा में शामिल भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार कच्चे तेल से जुड़े कई रूसी सरकार के अनुरोधों को नकार सकती है। बता दें, भारत की करीब 70 प्रतिशत रिफाइनरी पब्लिक ओनरशिप के अंतर्गत आती है। यानी साफ है कि उन्हें वित्त मंत्रालय के निर्देशों का पालन करना आवश्यक होगा।

भारत सरकार ने चीनी मुद्रा पर लगाया रोक

हाल ही में भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने रूस से कच्चे तेल की खरीदी युआन में की थी। इसके बाद सरकार ने क्रूड ऑयल की खरीदी पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, माना जा रहा है कि प्राइवेट रिफाइनरी कंपनियां पेमेंट के लिए युआन में निपटान करने का रास्ता अपना सकते है। रूस के पास रूपयों की अतिरिक्त सप्लाई है, जिसका इस्तेमाल करने के लिए रूसी सरकार को संघर्ष करना पड़ रहा है। यूआन की मांग बीते वर्ष में तेजी से बढ़ी है। यही वजह है कि रूसी अर्थव्यवस्था इम्पोर्ट के लिए चीन पर अधिक निर्भर दिखाई दे रही है।

रूस में बिजनेस के लिए युआन मुद्रा का हो रहा प्रयोग

पिछले कुछ दिनों से रूस की अर्थव्यवस्था में अलग बदलाव देखा गया है। रूसी बिजनेसमैन अपना अधिकतर व्यापार युआन में ही कर रहे हैं। रूस में चीनी मुद्रा इस वर्ष डॉलर की जगह सबसे अधिक कारोबार करने वाली मुद्रा बन गई है। बता दें रूस कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायरों में है। जो दक्षिण एशियाई देशों की खरीद का लगभग आधा हिस्सा बनाता है।

रूस में बिजनेसमैन डॉलर के बजाए युआन मुद्रा में व्यापार कर रहे है। कई बार जब रूसी तेल की कीमतें अमेरिका और उसके समर्थकों द्वारा निर्धारित 60 डॉलर के पार चली जाती है। तब आमतौर पर रूसी तेल के आयात भुगतान के विषय में भारत की अधिकांश रिफाइनरी कंपनी, यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) की मुद्रा दिरहम और अमेरिकी डॉलर के साथ रूपये से पेमेंट करती हैं। वहीं, भारत चीनी मुद्रा युआन का प्रयोग ज्यादातर छोटी खरीदारी के लिए ही करता है। वर्तमान समय में रूस भारत को कच्चा तेल आयात करने वाला उच्चा सप्लायर की सूची में आता है। रूस दक्षिण एशियाई देशों की खरीदारी का करीब आधा हिस्सा बनाता है।

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