तिरूपति मंदिर प्रसादम मामला: कहीं आप भी तो इस्तेमाल नहीं कर रहे जानवरों की चर्बी वाला घी? कैसे करें शुद्ध घी की पहचान
- घी की ऐसे करें पहचान
- प्योर घी और देसी घी में क्या अंतर?
- वनस्पति घी क्या होता है?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू बनाने में इस्तेमाल हुआ घी आज कल विवाद का मुद्दा बना हुआ है। क्योंकि कुछ रिपोर्ट्स में सामने आया है कि लड्डू के घी में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल हुआ है। जिसे लेकर लोग काफी चिंता में आ गए हैं कि कहीं उनके खाने वाले घी में तो किसी तरह की मिलावट नहीं है। घी के असली और नकली की पहचान करने के लिए आप कुछ टिप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप बाजार से घी खरीदते हैं तो आप उस पैकेट पर लिखी चीजों को पढ़कर पता लगा सकते हैं कि घी मिलावटी है या नहीं। तो चलिए जानते हैं कि पैकेट को पढ़कर कैसे पता करें घी कि असलियत।
पैकेट पर क्या लिखा होता
पैकेट के ऊपर लिखा होता है कि उस चीज को बनाने में किसका इस्तेमाल हुआ है। आप चाहें घी का पैकेट लाएं या घी का डिब्बा आपको उसमें लिखी चीजों को ध्यान से पढ़ना चाहिए। उसमें लिखा होता है कि इस घी को बनाने में किस सामग्री का उपयोग किया गया है।
घी के पैकेट पर सामान्य तौर पर 5 जानकारियों के बारे में लिखा होता है। जिसमें एनर्जी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, विटामिन और फैट शामिल रहता है। इनमें कैलोरी की संख्या करीब 900 होती है और कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, शुगर की संख्या शून्य होती है। वहीं इसमें सबसे ज्यादा फैट होता है जो कि 100 ग्राम में करीब 99.7 प्रतिशत पाया जाता है। साथ ही कुछ मात्रा विटामिन की भी होती है।
डिब्बे की सामग्री
डिब्बे पर लिखा होता है कि ये घी पूरी तरह से मिल्क फैट का बना है। जिसका मतलब है कि घी को बनाने में सिर्फ मिल्क फैट का इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में मिलावटी घी है या असली ये पक्का कर पाना मुश्किल होता है। क्योंकि बीफ टैलो जैसी चीजें लिखी नहीं जा सकती हैं। ये पता करने के लिए कि ये घी आपको नुकसान करेगा या नहीं आपको दूसरी चीजों से पता करना पड़ेगा।
टोटल फैट क्या होता है?
घी एक तरह का फैट होता है जिसमें 99 प्रतिशत हिस्सा फैट ही होता है। इस फैट में अन्य प्रकार के भी फैट शामिल होते हैं। जिसमें सैचुरेटेड फैट, मोनोअनसैचुरेटेड फैट, पॉलीअनसैचुरेटेड फैट जैसे फैट्स शामिल हैं। बता दें कि इसमें ज्यादातर सैचुरेटेड फैट पाया जाता है। सैचुरेटेड फैट थोड़ा सा सॉलिड वर्जन होता है फैट का जिसको हेल्थ के लिए हानिकारक माना जाता है। ये शरीर में कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने का भी काम करता है। बात करें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट की तो इसको थोड़ा हेल्दी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच में करीब 9 ग्राम सैचुरेटेड फैट पाया जाता है।
देसी घी और प्योर घी में अंतर
कुछ घी के पैकेट में प्योर घी लिखा होता है तो कुछ में देसी घी। लेकिन इन दोनों में क्या अंतर है ये कुछ लोगों को ही पता होगा। FSSAI के अधिकारियों के मुताबिक, एगमार्क देने का क्राइटेरिया प्योर घी, देसी घी, शुद्ध देसी घी के आधार पर नहीं होता है। एगमार्क घी के बनने के तरीके पर दिया जाता है। अगर डिब्बे पर प्योर घी, देसी घी या शुद्ध देसी घी पर चर्चा करें तो इसमें टेक्निकली कोई अंतर नहीं होता है।
गाय के घी का अलग एगमार्क
घी के कई डिब्बों पर गाय का घी लिखा होता है। साथ ही कंपनियां दावा करती हैं कि ये घी गाय के दूध को प्रोसेस्ड करके बनाया है। गाय के घी पर आरएम वैल्यू के आधार पर एगमार्क लाइसेंस दिया जाता है। आमतौर पर घी की कैटेगरी में एगमार्क का लाइसेंस मिलता है।
वनस्पति घी क्या होता है?
वनस्पति घी की बात करें तो इसको ऑयल में कैटेगराइज किया गया है। क्योंकि ये वेजिटेबल ऑयल जम जाने के बाद बनता है। हालांकि ये जमा होता है तो लोग इसे घी मान लेते हैं लेकिन ये घी बिल्कुल नहीं होता है। इन तेलों की अलग से व्यवस्था होती है। साथ ही इसे घी का एगमार्क लाइसेंस भी नहीं मिला होता है।
एगमार्क लाइसेंस क्या होता है?
एगमार्क का पूरा नाम एग्रीकल्चरल मार्क है। ये कृषि पर आधारित चीजों की प्रमाणिकता निश्चित करता है। ये गुणवत्ता मानक के रूप में काम करता है। यह कृषि उत्पाद अधिनियम, 1937 के तहत निर्धारित मानकों को पूरा करता है।