CJI की चयनप्रक्रिया: नए CJI संजीव खन्ना को राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ, जानें कैसे तय होता है देश का चीफ जस्टिस और क्या होती हैं जिम्मेदारियां?
- संजीव खन्ना बने 51वें CJI
- 10 नवंबर को चंद्रचूड़ नायडू हुए थे रिटायर
- जानें कॉलेजियम सिस्टम के बारे में
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जस्टिस संजीव खन्ना ने आज (सोमवार) भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) के पद की शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस शपथग्रहण में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस खन्ना को शपथ दिलाई। आपको बता दें कि, उन्होंने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नायडू का स्थान लिया जो 10 नवंबर को अपने पद से रिटायर हुए थे। जस्टिस संजीव खन्ना 6 महीनों तक इस पद पर रहेंगे यानी वे 13 मई 2025 तक इस पद को संभालेंगे। जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक जाने-माने न्यायाधीश हैं। उनका कानूनी सफर काफी प्रभावशाली रहा है और वे अपनी न्यायप्रियता और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। मालूम हो कि, चंद्रचूड़ नायडू ने दो साल तक अपना कार्यभार संभाला और अब जस्टिस संजीव खन्ना 6 महीने अपनी सेवाएं देंगे। तो ऐसे में क्या आपको पता है कि भारत के चीफ जस्टिस का कार्यकाल कैसे तय किया जाता है? और उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है? चलिए आज हम इसे थोड़ा जननें की कोशिश करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश के चयन की प्रक्रिया
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद देश की न्यायपालिका का सर्वोच्च और सबसे महत्वपूर्ण पद होता है। ये पद न केवल देश के न्यायिक तंत्र (judicial system) की जिम्मेदारी निभाता है, बल्कि संविधान और कानून की रक्षा के लिए भी सर्वोच्च भूमिका में होता है। CJI का चयन और उनकी भूमिका दोनों ही एक निर्धारित प्रक्रिया और नियमों के मुताबिक तय की जाती हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश का चयन एक परंपरागत प्रक्रिया के तहत होता है। जिसमें भारत के संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाले सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए चुना जाता है। इसका मतलब है कि, जब मुख्य न्यायाधीश का पद खाली होता है या वे रिटायर होने वाले होते हैं, तो उसके बाद सबसे वरिष्ठ जज को इस पद पर नियुक्त किया जाता है। ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन करती है। इस पद पर इनका कार्यकाल 65 वर्ष की उम्र तक रहता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, भारत के संविधान का अनुच्छेद 124 (1) कहता है कि, भारत का एक सुप्रीम कोर्ट होगा जिसमें भारत का एक मुख्य न्यायाधीश होगा। लेकिन इस अनुच्छेद में CJI की योग्यता और उसकी नियुक्ति क्या होगी इसपर कोई विस्तार से चर्चा नहीं की गई है। वहीं, अनुच्छेद 126 में कार्यकारी CJI की नियुक्ति के बारे में जिक्र जरूर मिलता है। हालांकि, अंतिम रूप से इसका निर्णय भारत के राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाता है, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति के माध्यम से होती है।
कॉलेजियम सिस्टम क्या है?
मुख्य न्यायाधीश के चयन में एक महत्वपूर्ण भूमिका कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) निभाता है। इसमें भारत के सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। ये न्यायाधीश नए मुख्य न्यायाधीश के लिए नाम की सिफारिश करते हैं। कॉलेजियम सिस्टम भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 और 217 सर्वोच्च और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है। जब किसी मुख्य न्यायाधीश पद के लिए नियुक्ति होती है तो सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में मौजूद वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा इस पर विचार किया जाता है। अगर वर्तमान मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल खत्म होने वाला है तो कॉलेजियम उस न्यायाधीश का नाम सुझाता है, जो इस पद के लिए अगला योग्य उम्मीदवार हो। उसके बाद ये नाम राष्ट्रपति को भेजा जाता है और राष्ट्रपति इस पर अंतिम निर्णय लेते हैं। यदि राष्ट्रपति नाम को मंजूरी देते हैं, तो CJI की नियुक्ति हो जाती है।
मुख्य न्यायाधीश की भूमिका और जिम्मेदारियां
मुख्य न्यायाधीश का पद भारतीय न्यायपालिका का शीर्ष पद होता है। इसके अंतर्गत आने वाली कई प्रमुख जिम्मेदारियां भी हैं, जैसे कि-
मामलों की सुनवाई का समाधान करना
मुख्य न्यायाधीश ये तय करते हैं कि, सुप्रीम कोर्ट में कौन-कौन से जज किस-किस मामले की सुनवाई करेंगे। ये एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। क्योंकि, ये प्रक्रिया तय करती है कि किस प्रकार के मामलों में कौन से जजों की योग्यता का लाभ उठाया जाए।
संवैधानिक बेंच का गठन
यदि कोई मामला संविधान की स्पष्टता से जुड़ा होता है या किसी विशेष मुद्दे पर महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है, तो मुख्य न्यायाधीश संवैधानिक बेंच का गठन करते हैं। इसमें पांच या उससे अधिक जज शामिल हो सकते हैं।
न्यायिक प्रशासन
मुख्य न्यायाधीश न्यायालय के संचालन का प्रबंधन करते हैं, जिससे सुप्रीम कोर्ट की सभी कार्यवाही सुचारु रूप से चल सके। इसमें अदालत की कार्यवाही का समय निर्धारित करना, मामलों की सूची बनाना और भी कई प्रशासनिक कार्य शामिल होते हैं।
संविधान और कानून की रक्षा
मुख्य न्यायाधीश का उद्देश्य संविधान और कानून की रक्षा करना भी है। वे संविधान के सहायक के रूप में कार्य करते हैं। वे ये सुनिश्चित करते हैं कि, कोई भी कानून या सरकारी कार्रवाई संविधान के खिलाफ न हो।
अनुशासनात्मक प्राधिकार
मुख्य न्यायाधीश के पास सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों दोनों के न्यायाधीशों के विपरीत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है। इससे न्यायिक प्रणाली में जवाबदेही सुनिश्चित होती है।