अकबर-सीता विवाद: त्रिपुरा में शेर और शेरनी के नाम केस में राज्य सरकार की बड़ी कार्रवाई, आईएफएस आधिकारी को किया सस्पेंड

  • अकबर-सीता मामले में त्रिपुरा सरकार ने की कार्रवाई
  • आईएफएस अधिकारी को किया सस्पेंड
  • कोलकत्ता हाई कोर्ट में मामले की हुई सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-26 18:34 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। त्रिपुरा में लंबे समय से शेर और शेरनी के नाम को लेकर विवाद चल रहा है। दरअसल, चिड़ियाघर में शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखने का अनोखा मामला सामने आया था। इसके बाद से यह त्रिपुरा में यह मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। इस बीच अब एक बड़ी खबर सामने आई है। इस मामले में त्रिपुरा सरकार ने शीर्ष वन अधिकारी आईएफएस प्रवीण अग्रवाल को निलंबित कर दिया है। बता दें, प्रवीण अग्रवाल बतौर प्रिंसिपल चीफ वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और मुख्य वन्यजीव वार्डन (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) रह चुके हैं। राज्य सरकार के इस आदेश के तहत अग्रवाल को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में ही रहना होगा। ऐसे में प्रवीण अग्रवाल अगरतला में अपना मुख्यालय सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना नहीं जा सकेंगे।

बंगाल सफारी पार्क में किया गया शिफ्ट

गौरतलब है कि अकबर नाम का शेर और सीता नाम की शेरनी को त्रिपुरा के सिपाहीजाला प्राणी उद्यान से बंगाल में 12 जनवरी को सिलीगुड़ी के सफारी पार्क में भेजा गया था। वहीं, जानवरों के नाम से जुड़ा यह विवादित मामला में कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट में जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने इस मामले की सुनावई की थी। इस दौरान बेंच ने अपने फैसले में इस विवाद को सुलझाने के लिए शेर और शेरनी को इन नाम से संबोधित करने पर रोक लगाने का सुझाव दिया था। इसके अलावा कोर्ट ने चिड़ियाघर प्राधिकरण को यह निर्देश भी दिया था कि दोनों जानवरों के नाम बदलते हुए सही निर्णय लिया जाए। इसके साथ ही कोर्ट में विश्व हिंदू परिषद ने सर्किट पीठ के सामने याचिका दायर की थी। जिसके तहत अनुरोध किया था कि इन नामों से देश के लोगों के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।

कलकत्ता हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

कलकत्ता हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सौगत भट्टाचार्य ने सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा था कि क्या किसी जानवर के नाम को पौराणिक नायकों, देवातओं, स्वतंत्रता सेनानियों या नोबेल पुरस्कार विजेताओं के आधार पर रखा जाना चाहिए? इसके बाद न्यायधीश ने कहा था कि जानवरों के इस तरह के नामकरण को टाल चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट में पहले से ही राज्य के स्कूलों में कथित शिक्षकों की भर्ती के घपले और कई अन्य केस लंबित है। इसलिए यह बेहतर होगा कि इस मामले में विवेकपूर्ण निर्णय लिया जाएं। साथ ही, जानवरों के नाम के विवाद को सुलझा दिया जाए। वहीं, कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है। यहां रहने वाले हर समुदाय के नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने का आधिकार प्राप्त है। अदालत ने कहा कि देश में जहां एक बड़ा समुदाय सीता की पूजा करता है। तो वहीं, भारत के इतिहास में अकबर को एक सफल और धर्मनिर्पेक्ष मुगल सम्राट के रूप में जाना जाता है। जस्टिस भट्टाचार्य ने कहा कि वह शेर और शेरनी के नामों के पक्ष में नहीं है।

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