क्रिमिनल लॉ में बदलाव: देश में 1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए 'क्रिमिनल लॉ', देखने को मिलेगा यह बदलाव
- देश में 1 जुलाई से लागू तीन नए क्रिमनिल लॉ
- कानून में होंने यह बदलाव
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचनाओं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संविधान में 1 जुलाई से नया आपराधिक कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) लागू किया जाएगा। दावा किया जा रहा है इसके जरिए भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाएगी। बता दें, पिछले साल संसद में 21 दिसंबर को तीन नए कानूनों के प्रस्ताव को पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने संसद से पारित हुए इन तीन कानूनों को मंजूरी दी थी। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन कानूनों को लेकर तीन अधिसूचनाओं जारी की हैं। जिसके मुताबिक, 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून को देश में लागू किया जाएगा। देश के संविधान में औपनिवेशिक काल के समय से चलते आ रहे भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर इन्हें लाया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से इन कानूनों को लागू करने का उद्देश्य कई अपराधों को परिभाषित और निर्धारित करके सजा तय करना है। जिससे देश में आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णतः बदल जाएगी।
संसद में पेश किए गए थे कानून
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में चर्चा के समय तीन विधेयकों को लेकर पूछे गए सभी वालों का उत्तर भी दिया था। इस पर अमित शाह ने कहा था कि आपराधिक कानून के तीन नए विधेयकों को लाने का उद्देश्य पूर्ववर्ती कानूनों के जैसे सजा देने के लिए नहीं , बल्कि लोगों को न्याय दिलाने के लिए लागू किया जा रहा है। उन्होंने बताया इन कानूनों के जरिए कई अपराध और उनसे जुड़ी सजा को परिभाषित करना है। इसके साथ ही इन विधेयकों की मदद से आपराधिक न्याय प्रणाली में थोड़े बहुत बदलाव भी किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इन काननों में मुख्य रूप से आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा निर्धारित की गई है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि आपराधिक कानून में राजद्रोह के अपराध को हटाया गया है। इसके साथ ही इसमें राज्य के खिलाफ अपराध शीर्षक का नया खंड लाया गया है।
नए विधेयकों पर अमित शाह ने दिया बयान
गौरतलब है कि अगस्त में मॉनसून सत्र के दौरान इन विधायकों के प्रस्ताव को रखा गया था। केंद्र सरकार ने तीन नए कानूनों को गृह मामलों पर स्थायी समिति की ओर से कई सिफारिशें के बाद इन्हें पारित करने का फैसला लिया गया था। फिर बाद में इन कानूनों को नवीन करके पेश किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन विधायकों व्यापक रूप से सोच विचार करने के बाद ही बनाया गया था। उन्होंने बताया कि विधायकों को संसद में पेश करने से पहले मसौदा विधेयक में प्रत्येक अल्पविराम और पूर्णविराम को सुनिश्चित किया था। भारतीय न्याय संहिता में तीन विधेयकों को नए देशद्रोह कानून के तहत अलगाववाद के कृत्य, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंस गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां या संप्रभुता या एकता को संकट डालने से जुड़े अपराधों में सूचिबद्ध किया है।
इस धारा के तहत दोषी को मिलेगी सजा
इन कानूनों के मुताबिक, यदि कोई भी व्यक्ति शब्द, संकेत, दृश्य प्रतिनिधित्व, इलेक्ट्रॉनिक संचार और वित्तीय माध्यम से अवगत होते हुए अलगाववाद, सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को भड़काने का प्रयास करता है। इसके अलावा देश में अलगाववादी गतिविधियों की भावना या भारत की संप्रभुत्ता, एकता और अखंडता को तोड़ने का कार्य करता है, तो उस व्यक्ति को 7 साल की सजा या उम्र कैद तक हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा। देशद्रोही कानून के तहत धारा 124A के मुताबिक, अपराध की गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति को उम्रकैद और 3 साल की सजा का प्रावधान बनाया गया है। इस कानून में राजद्रोह के शब्द को हटाकर देशद्रोह किया गया है।