इजराइल-हमास युद्ध: हमास के शुरुआती हमले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कही "मन की बात", भारत के सबसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट को ठहराया जिम्मेदार
- हमास के शुरुआती हमले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कही "मन की बात"
- इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कही बड़ी बात
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजराइल और हमास के बीच भीषण युद्ध जारी है। इजराइली वायुसेना गाजा पट्टी से हमास को खदेड़ने के लिए ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक और मिसाइलें दाग रही है। इस भयानक जंग में अब तक 6000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। हमास द्वारा इजराइल पर शुरुआती हमला करने से जुड़ी कई खबरें सामने आ चुकी हैं। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल पर हमास के प्रारंभिक हमले के लिए भारत के सबसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट "इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर" को जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि, भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार विस्तार के लिए इस प्रोजेक्ट को आगे लाया गया है। इस प्रोजेक्ट को इंडिया से होते हुए मिडल ईस्ट के कई देशों तक रेल, बंदरगाहों और रोड के जरिए जोड़ा जाएगा। दरअसल, बाइडेन ने ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज से मुलाकात की। जिसके बाद उन्होंने प्रेस को बयान देते हुए कहा, " हमास के हमले का एक कारण यह कॉरिडोर हो सकता है। इस बात पर मेरे पास कोई सबूत नहीं है, लेकिन ऐसा मेरा मन कहता है। इस प्रोजेक्ट के तहत इजराइल समेत पूरे इलाके को जोड़ा जाना है और यह बेहद जरूरी है। हम इस काम को पीछे नहीं छोड़ सकते।"
जी-20 के दौरान प्रोजेक्ट पर बनी थी सहमति
इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर की बात करें तो यह प्रोजेक्ट भारत को पश्चिम देशों से जोड़ेगा। जिससे इन देशों से आयात और निर्यात करने में आसानी होगी। इस कॉरिडोर का रूट यूएई से होकर इजराइल के हाइफा तक जोड़ा जाएगा। साथ ही, प्रोजेक्ट में अमेरिका और सऊदी अरब की भी अहम भूमिका है। माना जा रहा है कि यह कॉरिडोर यूरोप पहुंचने के बाद इटली से गुजरते हुए जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों तक अपनी पहुंच बनाएगा । भारत में पिछले महीने हुई जी20 समिट में भी इस प्रोजेक्ट को लेकर विशेष चर्चा हुई थी। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सहमति बन पाई है। बता दें, इस प्रोजेक्ट पर भारत और अमेरिका, यूएई, फ्रांस, जमर्नी, इटली सऊदी अरब समेत यूरोपियन देशों ने साइन किए हैं।
जानें कितना महत्वपूर्ण है यह कॉरिडोर
इस कॉरिडोर को बनाने का खास मकसद ट्रेड के नेटवर्क का मध्य पूर्व देशों में विकसित करना है। वहीं, भारत के लिहाज से यह कॉरिडोर काफी मयाने रखता है, क्योंकि इस रूट की सहायता से भारत अपने आयात और निर्यात को पश्चिम देशों से होते हुए यूरोप तक पहुंचा सकता है। इस कॉरिडोर के जरिए भारत को मीडिल ईस्ट देशों से माल की आवाजाही करने में काफी आसान होगी। माना जा रहा है कि भारत इस प्रोजेक्ट में करीब 3.5 लाख करोड़ रूपये खर्च करेगा। इस प्लान के तहत देश के विभिन्न रेल नेटवर्क को पश्चिमी बंदरगाहों के रूट तक पहुंचाया जाएगा। इसकी मदद से देश के अलग-अलग हिस्सों से माल के निर्यात को महज 36 घंटो के भीतर पश्चमी देशों के बंदरगाहों तक पहुंचाया जाएगा।
प्रोजेक्ट के जरिए निवेश में होगा विस्तार
हालांकि, इस प्रोजेक्ट में दो अलग तरह के कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। पहला 'पूर्वी कॉरिडोर' और दूसरा 'नॉर्थ कॉरिडोर'। पहले कॉरिडोर भारत को पश्चिम देशों तक जोड़ेगा। वहीं, दूसरे कॉरिडोर पश्चिम एशिया को यूरोप तक जोड़ेगा। इस कॉरिडोर को रेल, रोड और बंदरगाहों जैसे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट को भारत के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया से लेकर यूरोप तक फैलाया जाएगा। इसकी मदद से इन देशों के आसपास के इलाकों में माल को बड़े आसानी से आयात-निर्यात किया जा सकेगा। कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस प्रोजेक्ट की काफी तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि इस प्रोजेक्ट के तहत दो महाद्वीपों में समृद्धि आएगी और अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर निवेश में विस्तार भी होगा। इधर, इजराइल और हमास की जंग में इजराइली सेना ने गाजा में जमीनी हमले शुरुआत कर दी है।