असली तिब्बत कोई काल्पनिक शांगरी-ला नहीं है
आध्यात्मिक दुनिया असली तिब्बत कोई काल्पनिक शांगरी-ला नहीं है
- तिब्बत में सब कुछ वास्तविक है
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। कुछ पश्चिमी व्यक्तियों की नजर में, तिब्बत कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है, बल्कि एक भ्रमपूर्ण शांगरी-ला यानी कि एक काल्पनिक आदर्श दुनिया है जो केवल उनकी कल्पना में मौजूद रहता है। कुछ पश्चिमी लोगों के लिए, जो कट्टरता से तिब्बती स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं, उनकी तिब्बत पर भावना भी आध्यात्मिक दुनिया के लिए उनकी तड़प को दर्शाती है।
असली तिब्बत सुंदर और अनोखा है, लेकिन वह कोई शांगरी-ला नहीं है। तिब्बत की जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको स्वयं तिब्बत जाकर उसका अनुभव करना होगा। पर कुछ शांगरी-ला के कैदी आँखें बंद कर अपनी स्वयं की कल्पनाओं में लिप्त हैं। पिछले कुछ दशकों में, तिब्बत पर पश्चिमियों का ध्यान मुख्य रूप से मानवाधिकारों, प्राकृतिक पर्यावरण और तिब्बती बौद्ध धर्म की निरंतरता पर केंद्रित रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, तिब्बत का दौरा करने वाले कई विदेशियों ने अपनी आँखों से देखा है कि तिब्बती लोग एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीते हैं। तिब्बत ने पर्यावरण की रक्षा और बौद्ध संस्कृति को विरासत में प्राप्त करने में भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। तिब्बती लोग दुनिया के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की ही तरह हैं। उन्हें कृषिदास बने रहना नहीं चाहिए और वे यह नहीं चाहते हैं। तिब्बती लोगों को भी जीवन, शिक्षा और स्वास्थ्य सहित सभी कल्याण प्राप्त करने चाहिए। तिब्बत में सभी निर्माण भी पूरे देश के आधुनिकीकरण कार्यों का एक हिस्सा है। तिब्बत में सब कुछ वास्तविक है, जो काल्पनिक शांगरी-ला से अलग है।
28 मार्च, 1959 को हुए लोकतांत्रिक सुधार से लेकर अब तक तिब्बत में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मजबूत नेतृत्व में, तिब्बत में सभी जातीय समूहों के लोग अपने मामलों के स्वामी बन गये हैं और आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। पुराने युग में तिब्बती पठार पर कोई आधुनिक मार्ग, स्कूल, अस्पताल, कारखाने या बिजलीघर नहीं थे, और कई स्थानों को जीवन के निषिद्ध क्षेत्र से वर्णित किया गया था। उधर 1951 में शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद, विशेष रूप से 1959 में लोकतांत्रिक सुधार होने के बाद, केंद्र सरकार ने तिब्बत का आधुनिकीकरण करने के लिए बहुत सारे लोग, माल और वित्तीय संसाधनों का निवेश किया। देश के भीतरी इलाकों से बहुत से कार्यकर्ता, श्रमिक और तकनीकी कर्मी तिब्बत गए, उन्होंने पठारी वातावरण की विशेष कठिनाइयों को दूर कर स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाजवाद के निर्माण में भाग लिया।
शकों की कड़ी मेहनत के बाद, तिब्बत के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास ने उपयोगी परिणाम प्राप्त किए हैं, लोगों का जीवन समृद्ध और रंगीन है, और पारंपरिक संस्कृति विरासत के रूप में लिया गया है। लोकतांत्रिक सुधार से पहले तिब्बत की आबादी 1.228 मिलियन से बढ़कर 3.648 मिलियन हो गई है। चिकित्सा और स्वास्थ्य कार्यों के स्तर में भी बहुत सुधार हुआ है, और तिब्बती लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष से अधिक हो गई है। लोकतांत्रिक सुधार ने लाखों हजारों भू-दासों को देश के मालीक बनाया है। वर्तमान में, तिब्बत की विभिन्न स्तरों पर जन प्रतिनिधि सभाओं में तिब्बती और अन्य जातीय अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों की संख्या 92 प्रतिशत है। केंद्र सरकार ने भी तिब्बत के लिए विशेष नीतियों को लागू किया है, और मातृभूमि के दूसरे प्रांत और शहर भी तिब्बत का पुरजोर समर्थन करते हैं। तिब्बत में धार्मिक विश्वास की पूरी स्वतंत्रता है। वर्तमान में, तिब्बत में 1,787 धार्मिक स्थान हैं, और मठों मेंभिक्षुओं की संख्या 46,000 रहती है।
2019 के अंत तक, तिब्बत में गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य पूरी तरह से साकार हो गया है। सभी युवा 15 साल की मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्राप्त है, और तिब्बती निवासियों को भी रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। उधर, तिब्बती पठार को दुनिया के सबसे अच्छे पर्यावरण वाले क्षेत्रों में से एक माना जाता है, और प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों का का क्षेत्रफल तिब्बत का एक तिहाई भाग रहता है। तिब्बती लोग अच्छी तरह जानते हैं कि तिब्बत में महान उपलब्धियों की प्राप्ति का श्रय, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मजबूत नेतृत्व और पूरे देश के समर्थन तक जाता है। तिब्बती लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में समृद्धि, सद्भाव, अच्छी पारिस्थितिकी, धार्मिक सद्भाव और खुशी के साथ एक नया समाजवादी तिब्बत का निर्माण कर रहे हैं।
आईएएनएस
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