प्रतिरोध बलों ने अफगानिस्तान में तीन जिलों को तालिबान के कब्जे से छुड़ाया
Afghanistan प्रतिरोध बलों ने अफगानिस्तान में तीन जिलों को तालिबान के कब्जे से छुड़ाया
- अफगानिस्तान की लोकल न्यूज एजेंसी एजेंसी असवाका ने इसकी जानकारी दी
- पोल-ए-हेसर
- देह सलाह और बानो जिले तालिबान से आजाद
- प्रतिरोध बलों ने कई तालिबानी लड़ाको को मार गिराया
डिजिटल डेस्क, काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी बलों ने बाघलान प्रांत में पोल-ए-हेसर, देह सलाह और बानो जिलों पर कब्जा कर लिया है। तालिबान विरोधी ये बल अब अन्य जिलों की तरफ बढ़ रहे हैं। इस लड़ाई में कई तालिबानी लड़ाके मारे गए और कई घायल भी हुए हैं। अफगानिस्तान की लोकल न्यूज एजेंसी एजेंसी असवाका ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
Public’s Resistance Forces under Khair Muhammad Andarabi claim that they have captured Pol-e-Hesar, Deh Salah and Banu districts in #Baghlan and advancing towards other districts. They are saying that the Taliban did not act in the spirit of a general amnesty. #Taliban pic.twitter.com/AS8isXlwNC
— Aśvaka - آسواکا News Agency (@AsvakaNews) August 20, 2021
तालिबान के कब्जे से जिलों को छुड़ाने के ठीक पहले सामने आए एक वीडियो में नॉर्दन अलायंस कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद को यह कहते देखा जा सकता है कि अगर कोई किसी भी नाम से हमारे घर, हमारी जमीन और हमारी आजादी पर हमला करना चाहेगा तो, नेशनल हीरो -अहमद शाह मसूद और अन्य मुजाहिदीन की तरह, हम भी अपनी जान देने और मरने के लिए तैयार हैं लेकिन अपनी जमीन और अपनी गरिमा को नहीं देंगे। उन्होंने हम अपना प्रतिरोध जारी रखेंगे।"
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के पूर्ण नियंत्रण के बाद, अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के प्रतिरोध मोर्चा ने गुरुवार को पंजशीर घाटी में अपने झंडे की घोषणा की। यह वहीं झंडा हो सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन की जीत के बाद बनी सरकार का आधिकारिक झंडा था। इससे पहले अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था। उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए तालिबान के खिलाफ "प्रतिरोध में शामिल होने" के लिए दूसरों से आग्रह किया था।
इससे पहले, खबर आई थी कि सालेह की सेना ने काबुल के उत्तर में परवान प्रांत में चरिकर क्षेत्र पर फिर से कब्जा कर लिया है। अपुष्ट रिपोर्टों के मुताबिक मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम और अट्टा मुहम्मद नूर अता नूर की कमांड के तहत अफगान सरकार के प्रति वफादार सैनिक पंजशीर में फिर से इकट्ठा हो रहे हैं। पंजशीर, एकमात्र प्रांत है जो तालिबान के नियंत्रण से बाहर है। दिवंगत अफगान नेता अहमद शाह मसूद पंजशीर के "शेर" के रूप में जाने जाने थे। अब उनके बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में एक प्रतिरोध बल ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सोशल मीडिया पर तस्वीरों में मसूद के साथ सालेह की मुलाकात दिखाई दे रही है और दोनों तालिबान से लड़ने के लिए गुरिल्ला आंदोलन की शुरुआती टुकड़ियों को इकट्ठा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। मसूद ने अमेरिका से अपने मिलिशिया को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने का भी आह्रान किया है। सालेह ने ट्विटर पर लिखा, मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा। मैं अपने नायक, कमांडर, लीजेंड और गाइड अहमद शाह मसूद की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा
कौन है अहमद मसूद?
अहमद मसूद का जन्म 10 जुलाई 1989 को हुआ था। वह एक अफ़ग़ान राजनेता हैं और नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान के फाउंडर हैं। वह एंटी सोवियत मिलिट्री लीडर अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। उन्हें नवंबर 2016 में मसूद फाउंडेशन का सीईओ नियुक्त किया गया था। 5 सितंबर, 2019 को उन्हें पंजशीर घाटी में उनके पिता का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। उनका जन्म उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान के तखर प्रांत के पीयू में हुआ था।
ईरान में अपनी माध्यमिक स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद, मसूद ने रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट में एक मिलिट्री कोर्स पर एक वर्ष बिताया। 2015 में उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन में वॉर स्टडीज में स्नातक की डिग्री ली। 2016 में उन्होंने लंदन की यूनिवर्सिटी सिटी से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की।