Lebanon: लेबनान में PM समेत पूरी सरकार का इस्तीफा, ब्लास्ट के बाद लोग सड़कों पर कर रहे थे प्रदर्शन
Lebanon: लेबनान में PM समेत पूरी सरकार का इस्तीफा, ब्लास्ट के बाद लोग सड़कों पर कर रहे थे प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, बेरूत। लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब ने सोमवार को अपनी पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफ़ा दे दिया है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय टेलीविज़न पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में ख़ुद इसकी घोषणा की। पिछले साल भारी जन आंदोलन के सरकार गिराने के बाद हसन की सरकार आई थी। बेरूत में बीते मंगलवार को हुए विस्फोट की वजह से लोग लगातार हिंसक प्रदर्शन कर रहे थे। बता दें कि इस विस्फोट में करीब 200 लोगों की जान गई थी वहीं 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। दर्जनों लोग अभी भी लापता हैं, इनमें से अधिकांश विदेशी कर्मचारी हैं। राजनीतिक वर्ग में भ्रष्टाचार और कुशासन को लोग इस हादसे की वजह बता रहे हैं और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने कुछ समय के लिए मंत्रालयों में घुसकर तोड़फोड़ की। लेबनान सरकार की नाकामी के विरोध में प्रदर्शनकारी रविवार को भी सड़कों पर उतर आए। शहीद चौराहे के पास सैकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। शहीद चौराहे से ही कुछ दूरी पर वह बंदरगाह है जहां धमाका हुआ था। पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इससे पहले भीड़ ने संसद की ओर जाने वाले रास्ते पर तैनात पुलिस पर पथराव किया और आगजनी की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने हेलमेट और गैस से बचने के लिए मास्क लगाए थे तो कुछ लोगों ने आंसू गैस से बचने के लिए शील्ड का इस्तेमाल किया।
कई लेबनानियों को लगता है कि यह धमाका सरकारी सिस्टम के सड़ जाने का सबूत है। 1975-1990 के गृहयुद्ध के बाद से लेबनान सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस कारण लाखों लोग गरीबी में धकेले जा चुके। लेबनान के करीब 44,000 लोगों ने एक ऑनलाइन याचिका देकर फ्रांस को अगले 10 साल के लिए शासन करने का आग्रह भी किया है। अवाज नाम की वेबसाइट पर धमाके के बाद लोगों ने बुधवार को ऑनलाइन याचिका डाली थी। याचिका में लिखा गया है, "लेबनान के अधिकारियों ने साफ तौर पर देश को सुरक्षित और प्रबंधित करने में असमर्थता दिखाई है। विफल होता सिस्टम, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के साथ देश अपनी अंतिम सांस तक पहुंच गया है। हम मानते हैं कि लेबनान को एक स्वच्छ और टिकाऊ शासन स्थापित करने के लिए फ्रांस के शासनादेश में होना चाहिए।"