काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने वाले आतंकी समूह के बारे में जानें सबकुछ

ISIS का सबसे खतरनाक आतंकी गुट है खोरासान काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने वाले आतंकी समूह के बारे में जानें सबकुछ

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-27 06:56 GMT
काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने वाले आतंकी समूह के बारे में जानें सबकुछ
हाईलाइट
  • काबुल धमाकों में ISIS-खरासान ने दिया दुनिया को बड़ा संदेश
  • तालिबान छोड़ने वाले लड़ाकों की भर्ती करता है ISIS-K
  • तालिबान से खतरनाक है आतंकी संगठन खोरासान

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली/काबुल। अफगानिस्तान में कल यानी गुरुवार शाम काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दो फिदायीन हमले हुए। इस हमले में 13 अमेरिकी मरीन कमांडो मारे गए हैं, जबकि 15 घायल हैं, 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (IS) से संबधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासान (ISIS-K) ने ली है। ISIS संगठन के सबसे खतरनाक गुट खोरासान सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई में तालिबान को अपना दुश्मन मानता है। बता दें कि यह आतंकी संगठन काबुल व अन्य शहरों में सरकारी ठिकानों और अन्य देशों के मिलिट्री बेस पर कई हमले कर चुका है।

क्या है ISIS का खोरासान मॉड्यूल

  1. ISIS के करीब 20 मॉडयूल हैं, सबसे खतरनाक है ISIS-K यानी खोरासान 

  2. तालिबान छोड़ने वाले लड़ाकों की भर्ती करता है ISIS-K

  3. दक्षिण एशिया में खोरासान का नेटवर्क सबसे बड़ा और मजबूत है 

  4. ISIS का खोरासान मॉड्यूल इस वक्त सबसे ज्यादा सक्रिय

  5. तालिबान छोड़कर आए लड़ाकों को कमांडर बनाता है

  6. अफगानिस्तान में नया ठिकाना बनाने की कोशिश

  7. उज्बेक, ताजिक, वीगर और चेचेन्या से युवाओं की भर्ती

  8. ISIS-K गुट का अल कायदा से गठजोड़

खूंखार आतंकी संगठन ISIS-K कब बना , क्या ये ISIS से अलग हैं? आइए जानते हैं।

खोरासान का इतिहास
साल 1999 में बने ISIS संगठन के सबसे खतरनाक गुट खोरासान के इतिहास की बात की जाए तो इसका सीधा संबंध आतंकियों के गढ़ कहे जाने वाले देश पाकिस्तान से है। पाकिस्तान आतंकियों की जन्मभूमि है। जहां आज कई आतंकी संगठन पल रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान की सीमा पर खोरासान नाम के इलाके में पाकिस्‍तान से भागकर आने वाले तालिबानी लड़ाकों ने साल 2012 में एक गुट बनाया था। जिसका नाम खोरासान रखा गया है। फारसी शब्द खुरासान (खोरासान) का मतलब, जहां से सूरज उगता हैं। वर्तमान में यह अफगानिस्तान व सीरिया के बीच का हिस्सा है। इस ग्रुप में अलग विचारधारा रखने वाले आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े लोग शामिल हैं। इस ग्रुप को मुख्य तौर पर सीरिया, खुरासान से चलाया जाता है। 

साल 2014 के अंत में ये ग्रुप अफगानिस्‍तान में सामने आया था। इस संगठन की शुरुआत करने वालों में कट्टरपंथी सुन्नी मुस्लिम थे। इस संगठन ने अपने शुरुआत ही पाकिस्तान से लगे सीमाई क्षेत्रों पर नियंत्रण और तालिबान पर हमले से की थी। खोरासान गुट तालिबान छोड़ने वाले लड़ाकों की भर्ती करता है। तालिबान छोड़कर आए लड़ाकों को कमांडर बनाता है। उज्बेक, ताजिक, वीगर और चेचेन्या से युवाओं की भर्ती करता है। खोरासान गुट अफगानिस्तान में नया ठिकाना बनाने की कोशिश में है। ISIS-K गुट का अल कायदा से गठजोड़ है, इस गुट में अल कायदा से ट्रेनिंग ले चुके लड़ाके भी शामिल हैं। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ISIS-K का मानना है कि तालिबान ने इस्लामी विश्वास को त्याग दिया है। तालिबान अमेरिका के साथ बातचीत करने की इच्छा रखता है। तालिबान इस्लामी कानून लागू करने में विफल है। 

काबुल धमाकों में ISIS-खरासान ने दिया दुनिया को बड़ा संदेश
काबुल में हुए इन सिलसिलेवार धमाकों में एक बड़ा संदेश छिपा है। ये धमाके बता रहे हैं कि दुनिया को सिर्फ लश्कर-ए तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान से ही खतरा नहीं हैं। ISIS पहले की तरह अब भी खतरा बना हैं। बड़ी बात ये हैं तालिबान ने भी इन हमलों के लिए ISIS-K का नाम लिया हैं। जो तालिबान दुनिया के हर छोटे-बडे़ आतंकियों के साथ जुड़ा हैं, वो भी ISIS-K पर सवाल खड़ा कर रहा हैं। ISIS-K तालिबान से भी खूंखार आतंकी संगठन हैं। पिछले साल ISIS-K ने सिखों के गुरुद्वारे पर हमले के अलावा काबुल में एक महिला अस्पताल को भी निशाना बनाया था। इस हमले में 24 महिलाओं और नवजात बच्चों की मौत हो गई थी।

भारत के कई राज्य ISIS खुरासान के नक्शे में 
आतंकी संगठन ISIS खुरासान के नक्शे में भारत के कई बडे़ राज्यों का भी नाम हैं। इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान के नक्शे में भारत का गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर भी आता है। यह आतंकी संगठन पूरी दुनिया के लिए संकट पैदा करनें वाला हैं। वहीं इसकी लिस्ट में आधा चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान भी आता हैं।

जब अमेरिका ने ISIS-K पर किया था एयर स्ट्राइक
अमेरिका ने आईएसआईएस- खुरासान को खत्म करने की पहले से स्क्रिप्ट तैयार कर ली थी। क्योंकि अमेरिका को पता था कि तालिबान से भी ज्यादा खूंखार आतंकवादी संगठन ISIS- खुरासान हैं। इसी कारण अमेरिका ने इस संगठन को नेस्तानाबूद करने के लिए एयर स्ट्राइक शुरू कर दिए थे। हालांकि इन हमलों की वजह से ISIS-K काफी कमजोर हो गया था। अमेरिकी हमलों की वजह से साल 2016 तक ISIS-K में 1500 से 2000 आतंकवादी ही बचे थे। तभी 13 अप्रैल 2017 को अमेरिका ने इस आतंकवादी संगठन के ठिकाने पर सबसे बड़ा हमला किया और गैर परमाणु बम गिरा दिया। जिसमें भारी संख्या में आतंकी मारे गये थे।

बगदादी के सपनों को पूरा करना चाहता हैं, ISIS- खुरासान 
ऐसा माना जाता हैं कि तालिबान और ISIS-K एक दूसरे के दुश्मन मानें जाते हैं। तालिबान का प्रभाव अफगानिस्तान में हैं। वहीं ISIS-K अफगानिस्तान में फैलकर अपना प्रभाव छोड़कर बगदादी के खुरासान स्टेट के सपने को पूरा करना चाहता हैं। ISIS-K  का मानना हैं कि तालिबान जो कर रहा हैं,वह काफी नही हैं। इसलिए वो तालिबान से भी ज्यादा कट्टर और खूंखार हैं। यही कारण है कि अफगानिस्तान में उसने अपने प्रभाव वाले इलाकों में बहुत ही कड़ाई से शरिया कानून लागू कर रखा है. जो भी शरिया कानून को मानने से इनकार करता हैं। तो उसे  ISIS-K उसे बहुत ही कड़ी सजा देता है। यही चीज ISIS-K को तालिबान से भी ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन बनाता है। ISIS-K का  मकसद सारी दुनिया में इस्लाम का राज कायम करना हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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