‘घोस्ट ऑफ कीव’ सच्चाई या कल्पना? सच आया सामने

रूस-यूक्रेन युद्ध ‘घोस्ट ऑफ कीव’ सच्चाई या कल्पना? सच आया सामने

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-02 16:25 GMT
‘घोस्ट ऑफ कीव’ सच्चाई या कल्पना? सच आया सामने
हाईलाइट
  • टैक्टिकल एविएशन ब्रिगेड के पायलटों की सामूहिक भावना का प्रतीक है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूक्रेन-रुस के बीच 24 फरवरी से चल रहा युद्ध कई वजहों से लेकर चर्चा मे रहा है। उन वजहों मे से एक वजह है ‘घोस्ट ऑफ कीव’ या ‘कीव का भूत’। यूक्रेन सेना का एक ऐसा पायलट जिसने 40 रुसी लड़ाकू विमानों को मार गिराया। अपने इस काम के लिए वह काफी लोकप्रिय हुआ और लोगों सोशल मीडिया पर उसके बारे में बातें कीं, उसे यूक्रेन का हीरो कहा।

कौन है घोस्ट ऑफ कीव 

द टाइम्स अखबार ने अपनी रिपोर्ट में घोस्ट ऑफ कीव की पहचान उजागर करते हुए कहा कि मेजर स्टीफन ताराबल्का ही घोस्ट ऑफ कीव हैं। उन्हें यूक्रेन सरकार द्वारा देश का सबसे ब़ड़ा नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ द गोल्डन स्टार से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही उन्हें यूक्रेन का हीरो खिताब से भी नवाजा गया।

अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मेजर ताराबल्का की मौत बीते 13 मार्च को युद्ध के दौरान हो गई थी। टाइम्स की रिपोर्ट के आलावा एक और मीडिया संस्थान ने ताराबल्का के माता-पिता का बयान लेकर उनके घोस्ट ऑफ कीव होना का दावा किया था। युक्रेनी जनता के बीच भी उनके इस हीरो की चर्चा खूब हुई। 

युक्रेनी सेना ने किया खुलासा 

घोस्ट ऑफ कीव एक मिथक है। यह यूक्रेनियन लोगों द्वारा बनाई गई एक सुपर हीरो किंवदंती या कहें काल्पनिक कहानियां हैं। ये सब मनगढंत बातें हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नही है। यूक्रेन की वायु सेना ने 30 अप्रैल में किये अपने ट्वीट में घोस्ट ऑफ कीव का जिक्र करते हुए लिखा कि घोस्ट ऑफ कीव अभी जिंदा है उसकी मौत की खबर झूठी है।

वह टैक्टिकल एविएशन ब्रिगेड के पायलटों की सामूहिक भावना का प्रतीक है, जो सफलतापूर्वक कीव और क्षेत्र की रक्षा कर रहे हैं। 

वायुसेना ने ताराबल्क के बारे में भी बयान जारी कर बताया। सेना ने अपने बयान में कहा कि ताराबल्क एक असली पायलट थे, जिनका निधन 13 मार्च को युद्ध के दौरान हो गया था। मरने के बाद उन्हें हीरो ऑफ यूक्रेन की उपाधि से नवाजा गया था और वह ‘घोस्ट ऑफ कीव’ नहीं थे। 

बता दें कि रुस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से शुरु होने के एक दिन बाद घोस्ट ऑफ कीव की काल्पनिक कथाएं सामने आईं। सोशल मीडिया पर बिना साक्ष्य के किसी गुमनाम पायलट के विडियो और फोटो शेयर करते हुए उसे घोस्ट ऑफ कीव बताकर प्रचारित किया गया। 

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