तुर्की और रूस के बीच दोस्ती या दुश्मनी !
ये कैसी दोस्ती ? तुर्की और रूस के बीच दोस्ती या दुश्मनी !
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। अच्छे संबंधों के बीच भी तुर्की और रूस में सब कुछ ठीक हो ऐसा नहीं कहा जा सकता। दोनों देशों के संबंध व्यापार और पर्यटन में तो अच्छे दिखाई देते है, लेकिन कुछ मुद्दों पर दोनों आमने सामने भी होते दिखाई दिए है। जिन पर दोनों देश एक दूसरे को टक्कर दे रहे है। तुर्की ने रूस से जब मिसाइल डिफेंस सिस्टम लेने की घोषणा की थी, तब यूएसए ने तुर्की के रक्षा उद्योगों पर बैन लगा दिया था। उस समय तुर्की के राष्ट्रपति रैचेप अर्दोआन ने साफ लहजे में कह दिया था उसे मिसाइल खरीदने को लेकर कोई हुक्म नहीं कर सकता। और उसे ऐसा करने से कोई रोक भी नहीं सकता। तुर्की राष्ट्रपति के इन बयानों से साफ झलकता है कि रूस और तुर्की के बीच संबंध ठीक ठाक होंगे। अभी इसी सप्ताह जब तुर्की के राष्ट्रपति रूस के दौरे पर गए तब उन्होंने रूस की खूब तारीफ की थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार रिश्ते और मजबूत हुए। कोरोना महामारी से पहले साल 2019 में रूस से 70 लाख सैलानी तुर्की आए थे, जो किसी भी देश में आए सबसे अधिक लोग थे। वहीं रूस तुर्की में एक एटम प्लांट बना रहा है, जो 2023 तक काम करने लग जाएगा।
साथ- साथ
दौरे से लौटते समय उन्होंने कहा था कि सीरिया को लेकर रूस के हर निर्णय पर संकल्पित है। जिस पर वह पीछे मुड़ने वाला नहीं है। दोनों देशों के तारीफ और सहयोग के बाद भी कई मुद्दों पर कई जगह संबंधों में खटास भी नजर आ जाती है। जैसे तुर्की सीरिया में चल रहे युध्द के क्षेत्र में विद्रोही लड़ाकों का खुलकर समर्थन करता है। वहीं रूस बशर अल असद सरकार समर्थित फौजों के साथ है। जबकि तुर्की कुर्दिस्तान पार्टी का विरोध करता है जिसे वह खत्म करना चाहता है, क्योंकि इसकी तुलना वह आतंकी संगठन से करता है। तुर्की का मानना है कि सीरिया में लड़ रहा वाईपीजी इसी संगठन की एक ब्रांच है। वाईपीजी पीकेके आतंकी संगठन को खत्म करने के लिए हुए रूस के साथ समझौते को पूरा किया जाएगा।
तुर्की समेत अमेरिका,यूरोपीय संघ ने इस संगठन को आतंकी संगठन की लिस्ट में रखा है। इस आतंकी समूह ने 35 साल में 40 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली है। जिसमें बच्चे भी शामिल है। पिछले सप्ताह रूस के सोची से लौटते समय तुर्की राष्ट्रपति ने कहा तुर्की सीरियाई शरणार्थियों को उनके घर वापस पहुंचाने को लिए जरूरी काम कर रहा है।
आमने- सामने
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक तुर्की ने त्रिपोली सरकार की सहायता के लिए सीरियाई लड़ाको को भेजा था। जबकि रूस के वैगनर ग्रुप ने हफ्तार के सहयोग के लिए लड़ाकू भेजे थे।
लीबिया में तुर्की ने जब त्रिपोली सरकार के सहयोग के लिए सैन्य दखल दिया था। उस समय खलीफा हफ्तार ने उन पर हमला किया था। वहीं अर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच की लड़ाई मे तुर्की अज़रबैजान के साथ है। वहीं रूस आर्मीनिया के साथ था। अप्रैल माह में तुर्की राष्ट्रपति ने कहा था यूक्रेन की सीमा पर वह रूसी बलों के खिलाफ रहेगा और यूक्रेन की मदद करेगा। तब रूस ने पलटवार करते हुए तुर्की को चेताया कि वह सैन्य भावना भड़काने की कोशिश ना करें।