यूक्रेन व रूस युद्ध के बीच दिन पर दिन खाने को मोहताज होता जा रहा यूरोप, जानें क्या बची है भारत से आखिरी आस?
रूस-यूक्रेन विवाद यूक्रेन व रूस युद्ध के बीच दिन पर दिन खाने को मोहताज होता जा रहा यूरोप, जानें क्या बची है भारत से आखिरी आस?
- अब रूस को शांत कराने के लिए भारत भरोसे यूरोप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी हुए नौ महीने हो रहे हैं, फिर भी युद्ध विराम पर बात नहीं बन पा रही है। दोनों देशों के बीच जारी भीषण युद्ध की वजह से न सिर्फ यूक्रेन बल्कि यूरोपियन कंट्री में भी खाद्यान जैसी बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। जुलाई में यूएन व तुर्की के दखलंदाजी की बदौलत यूक्रेन से राशन की बिक्री के लिए खेप को रवाना किए जाने पर मंजूरी मिली थी। इस पूरे बातचीत के पीछे भारत ने अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही रूस को अनाजों से भरे जहाजों के लिए रास्ता देने के लिए राजी कर लिया था।
अब भारत पर फिर से दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं। बताया जा रहा है कि कई देशों का मानना है कि अगर रूस व यूक्रेन युद्ध में भारत मध्यस्थता करे तो हल जरूर निकलेगा। विगत कई महीनों से जारी जंग की वजह से मंदी का भी असर दिखने लगा है, आयात व निर्यात बुरी तरह प्रभावित हैं। युद्धग्रस्त देश की वजह से आस पास के कई देश में तो खाद्यान आपूर्ति भी ठप है।
भारत पर क्यों है दुनियाभर की नजर
यूक्रेन व रूस युद्ध के बीच एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है कि भारत के दखल से ही रूस व यूक्रेन के बीच शांति स्थापित हो सकेगी। दोनों देशों के बीच जारी जंग के बीच भारत ने कई मौकों पर दखल दिया और शांतिप्रिय ढंग से युद्ध को खत्म करने की वकालत की है। इसी हफ्ते विदेश मंत्री एस. जयशंकर प्रसाद रूस के दौरे पर जाने वाले हैं। अब कयास लगाया जा रहा है कि इस दौरान वह रूस से यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त करने को लेकर भी बात कर सकते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस मसले पर बात कर चुके हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के कूटनीतिज्ञों की नजर इस विजिट पर है। अगर रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त करने की भारत पैरवी करता है और रूस इस पर अमल करता है तो यूक्रेन ही नहीं यूरोपियन कंट्री में छाई खाद्यान संकट भी खत्म होने के आसार बढ़ जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, कई देशों में तो खाने के लाले पड़ गए हैं। जंग की वजह से गेहूं, चावल व अन्य खाद्यान सामग्री की सप्लाई नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से यूरोप के अन्य देशों में लोग भुखमरी के मुहाने पर खड़े हैं।
सर्दियों के दिनों में यूक्रेन की बढ़ सकती है मुश्किलें
यूक्रेन में रूस ने 24 फरवरी को हमला शुरू किया था। तभी से जंग जारी है, यूक्रेन को जहां पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल है तो वहीं रूस अकेले मोर्चा संभाले हुए है। रूस की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा कि वह यूक्रेन के कई शहरों पर कब्जा जमा लिया है। इधर सर्दियों का दिन आ जाने से यूक्रेन की और मुश्किलें बढ़ने वाली है।
यूक्रेन समेत पूरे यूरोप में सर्दियों में ऊर्जा की सप्लाई एक बड़ा संकट बन सकती है। ऐसे में यूक्रेन की ओर से युद्ध रोकने पर सहमति जताई जा सकती है। ऐसे हालात में भारत की ओर से यदि रूस को राजी कर लिया गया तो दुनिया में एक बड़ी जंग थम सकती है और भारत की कूटनीतिक जीत मानी जाएगी।