पुतिन के चेतावनी के बाद ,अमेरिका ने अपने दूतावास को बुलाया, छात्रों के लिए भारत ने भेजी फ्लाइट

रूस- यूक्रेन विवाद पुतिन के चेतावनी के बाद ,अमेरिका ने अपने दूतावास को बुलाया, छात्रों के लिए भारत ने भेजी फ्लाइट

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-22 04:17 GMT
पुतिन के चेतावनी के बाद ,अमेरिका ने अपने दूतावास को बुलाया, छात्रों के लिए भारत ने भेजी फ्लाइट
हाईलाइट
  • रूस यूक्रेन के बीच नया मोड़

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस यूक्रेन के बीच जारी विवाद ने नया मोड़ ले  लिया है। रूस यूक्रेन पर कभी भी हमला कर सकता है। इसे देखते हुए भारत यूक्रेन में फंसे सैकड़ों छात्रों को लाने के लिए स्पेशल फ्लाइट नई दिल्ली से यूक्रेन भेजेगा। जिनमें से एक आज, और दो अन्य 24 और 36 फरवरी को जाएगी। 

बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने यूक्रेन से अपने दूतावास को वापस बुला लिया गया है।  रूस की ओर से मिली अलगाववादी इलाकों की मान्यता को लेकर अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी काफी नाराज चल रहे है। वहीं रूस के आज के नए फैसले को देखते हुए संभावित तौर पर अमेरिका मास्को पर नए बैन लगा सकता है। रूस की नजरों में अब लुहांस्क और डोनेस्टक स्वतंत्र देश हैं।

                            

 रूस ने पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी इलाकों को मान्यता देने के साथ ही वहां अपने सैनिकों की तैनाती कर दी है। रूस के आक्रमण को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा यूक्रेन किसी से नहीं डरता है।  रूस  राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) और डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) को स्वतंत्र और संप्रभु राज्यों के रूप में मान्यता देने वाले दो फरमानों पर हस्ताक्षर किए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि क्रेमलिन में सोमवार को आयोजित एक समारोह में पुतिन ने दो गणराज्यों के प्रमुखों के साथ क्रमश: रूस और एलपीआर और डीपीआर के बीच मित्रता, सहयोग और पारस्परिक सहायता की संधि पर हस्ताक्षर किए। पुतिन ने टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम एक संबोधन में कहा, मैं डीपीआर और एलपीआर की स्वतंत्रता और संप्रभुता को तुरंत मान्यता देने के लिए एक लंबे समय से लंबित निर्णय लेना आवश्यक समझता हूं।

उन्होंने लोगों को बताया कि साल 2015 मिन्स्क समझौतों के कार्यान्वयन के लिए लड़कर रूस ने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए सब कुछ किया है, लेकिन सभी कोशिश नाकाम साबित हुई। पुतिन के अनुसार, लगभग हर रोज डोनबास में यूक्रेन की बस्तियों में गोलाबारी होती है, जिसका कोई अंत नहीं है। पुतिन ने कहा, यूरोपीय सुरक्षा का संकट उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के पूर्व की ओर विस्तार के कारण उत्पन्न हुआ, जिसके कारण रूस के साथ आपसी विश्वास खत्म हुआ है। उन्होंने नाटो के लिए यूक्रेन को एक सदस्य राज्य के रूप में स्वीकार करने और फिर अपने क्षेत्र में सुविधाओं का निर्माण करने के लिए जरूरी बताया है।

पुतिन ने कहा, जैसा कि मास्को ने अमेरिका और नाटो से सुरक्षा गारंटी के लिए कहा तो पश्चिमी देशों ने रूस की चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया है और उनकी स्थिति में कुछ भी नहीं बदला है। राष्ट्रपति ने कहा, ऐसी स्थिति में रूस को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जवाबी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। एलपीआर और डीपीआर की स्वतंत्रता को मान्यता देने के बाद, पुतिन ने रूसी सशस्त्र बलों को दो देशों में शांति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इससे पहले दिन में रूसी सुरक्षा परिषद ने एक असाधारण बैठक की, जब देश के शीर्ष अधिकारियों ने दो गणराज्यों की मान्यता का समर्थन किया। क्रेमलिन के एक बयान के अनुसार, सोमवार शाम को पुतिन ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ फोन पर बातचीत की, जिन्होंने एलपीआर और डीपीआर को मान्यता देने की पुतिन की योजना के लिए निराशा व्यक्त की। लेकिन इस बीच उन्होंने संपर्क जारी रखने के लिए तत्परता दिखाई।

 

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