अशरफ गनी के इस्तीफे की अटकलें खारिज, आखिरी सांस तक तालिबान के खिलाफ जंग लड़ने का ऐलान
Afghanistan अशरफ गनी के इस्तीफे की अटकलें खारिज, आखिरी सांस तक तालिबान के खिलाफ जंग लड़ने का ऐलान
- अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस्तीफे की खबरें खारिज
- तालिबान का अगला निशाना राजधानी काबुल है
- तालिबान के खिलाफ आखिरी सांस तक जंग लड़ने का किया ऐलान
डिजिटल डेस्क, काबुल। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आखिरी सांस तक तालिबान के खिलाफ जंग लड़ने का ऐलान किया है। इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि गनी इस्तीफा दे सकते हैं। हमले की कार्रवाई रोकने के लिए तालिबान की प्रमुख मांग राष्ट्रपति गनी का इस्तीफा है। कई प्रातीय राजधानियों पर तालिबान के कब्जे के बाद उसका अगला निशाना काबुल है। तालिबान के आतंकी काबुल के बेहद करीब है।
अफगानिस्तान के वाइस प्रेसिडेंट अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि उन्हें देश के सशस्त्र बलों पर गर्व है। राष्ट्रपति अशरफ गनी की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक के बाद उन्होंने ट्वीट किया, "यह दृढ़ विश्वास और संकल्प के साथ तय किया गया है कि हम तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और हर तरह से राष्ट्रीय प्रतिरोध को मजबूत करने के लिए सब कुछ करेंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति गनी ने फैसला किया है कि रक्षा और सुरक्षा बलों के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रतिरोध बलों को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
तालिबान ने 8 दिनों के अंतर अफगानिस्तान की 34 में से 19 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। ये प्रांत हैं- निमरोज, जव्ज्जान, सर्पिल, तखारी, कुंदुज, समनगन, फराह, बगलान, बदख्शन, गजनी, हेरात, बदघिश, कंधार, हेलमंद, घोर, ऊरुजगान, जाबूल, लाेगर और पक्तिया। हेरात और कंधार पर कब्जे के 24 घंटे के अंदर तालिबान ने कलात, तेरेनकोट, पुल-ए आलम, फ़िरुज़ कोह, काला-ए-नवा और लश्कर गाह पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
एक अधिकारी ने बताया कि हेरात पर कब्जा करने के बाद तालिबानियों ने वेटरन कमांडर इस्माइल खान को हिरासत में ले लिया। तालिबान ने उसे और अन्य पकड़े गए अधिकारियों को नुकसान नहीं पहुंचाने का वादा किया।
इस बीच पेंटागन ने गुरुवार को कहा कि वह अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को निकालने में मदद करने के लिए 48 घंटों के भीतर लगभग 3,000 अतिरिक्त सैनिक भेजेगा। ब्रिटेन ने कहा कि वह अपने नागरिकों को निकालने में मदद करने के लिए लगभग 600 सैनिकों को तैनात करेगा, जबकि नीदरलैंड, जर्मनी और नॉर्वे सहित अन्य दूतावासों और सहायता समूहों ने कहा कि वे भी अपने लोगों को बाहर निकाल रहे हैं।
एक प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए शुक्रवार को एक इमरजेंसी मीटिंग करेंगे। नाटो अलाइज ने भी अफगान की स्थिति पर विचार-विमर्श किया। सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने ट्वीट किया: "हमारा उद्देश्य अफगान सरकार और सुरक्षा बलों का समर्थन करना है। हम काबुल में अपनी राजनयिक उपस्थिति बनाए हुए हैं और हमारे कर्मियों की सुरक्षा सर्वोपरि है।"