मुश्किल में ड्रैगन: इटली ने दिया चीन को बड़ा झटका, राष्ट्रपति जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट बीआरआई से हुआ बाहर, पीएम मोदी से मुलाकात के बाद मेलोनी ने लिया फैसला

  • ड्रैगन को लगा झटका
  • बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव प्रोजेक्ट से हुआ बाहर
  • चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक घाटे को देखते हुए पीएम मेलोनी ने लिया फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-06 15:28 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिग का ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) पर मुसीबतों के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल, इस प्रोजेक्ट में शामिल इटली ने इसे छोड़ दिया है। जो कि 4 साल पहले एक समझौते के तहत इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बना था। उस समय वह ऐसा करने वाला जी-7 ग्रुप का एकलौता और यूरोप का पहला देश था। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इटली ने ऑफिशियल तौर पर इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर दिया है। पीएम जॉर्जिया मेलोनी की अगुवाई वाली एक एग्जिक्‍यूटिव टीम ने यह फैसला लिया है और इस बारे में चीनी सरकार को भी जानकारी दे दी है।

भारत दौरे के दौरान लिया फैसला

कहा जा रहा है कि मिलोनी ने यह फैसला इस साल की शुरूआत में भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ही ले लिया था। उन्होंने सम्मेलन के मौके पर चीन के पीएम ली कियांग के साथ इसे लेकर मीटिंग की और अपने फैसले के बारे में बताया था। इटली के इस प्रोजेक्ट से बाहर होने की चर्चाएं पहले भी हुई थीं। क्योंकि इतावली सरकार पहले भी कह चुकी है कि यह समझौता उनकी उम्मीदों के अनुरूप नही रहा।

क्यों लिया फैसला?

दरअसल, इटली के इस प्रोजेक्ट में शामिल होने का मकसद था कि वह इस प्रोजेक्ट के जरिए निवेश को अपनी ओर आकर्षित करे और चीनी बाजार में अपना निर्यात बढ़ाए। उसे भरोसा था कि इसका सदस्य बनकर वह चीन का निवेश अपनी ओर आकर्षित कर दूसरे देशों से आगे निकल जाएगा। पर हुआ इसका उल्टा। इटली के इस प्रोजेक्ट में शामिल होने के बाद उसका निर्यात चीन में केवल 4 मिलियन यूरो ही बढ़ पाया जबकि इस चीन का निर्यात इटली में 18 मिलियन यूरो बढ़ गया।

बता दें कि कई मौकों पर इटली के रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेटो और पीएम मेलोनी इस प्रोजेक्ट में बड़ी गलती बता चुके हैं। रक्षा मंत्री गुइडो ने तो इसे तात्कालिक और नृशंस कृत्य तक करार दिया था।

इटली की राह पर अन्य सदस्य देश

बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल कई देश भी इटली की तरह ही चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक घाटे से जूझ रहे हैं। वह भी चीन के साथ अपनी साझेदारी पर पुनर्विचार कर रहे हैं क्योंकि जिन उम्मीदों के साथ वह बीआरआई में शामिल हुए थे वह उन्हें पूरी होती हुई नजर नहीं आ रही हैं। 

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