भारत पर स्टैंड: 'अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी' पर कितने सख्त हैं डोनाल्ड ट्रंप? क्या H1B वीजा पाने के लिए भारतीय वर्कर्स की बढ़ेगी टेंशन

  • अमेरिकी फर्स्ट पॉलिसी पर डोनाल्ड ट्रंप का स्टैंड
  • अमेरिकी की वीजा पॉलिसी में हो सकता बदलाव
  • H1B वीजा पाने में भारतीय वर्कर्स की बढ़ेगी मुश्किलें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-07 10:55 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति पद की कमान संभालने जा रहे हैं। ट्रंप के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ने अमेरिका के 538 में से बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा पार करके सत्ता में वापसी की है। इसके साथ ही अब दुनिया की निगाहें ट्रंप के लीडरशीप में प्रभावित होने वाली अमेरिकी की नीतियों पर रहेगी। इनमें से एक है फर्स्ट पॉलिसी, जो भारत के लिहाज से काफी अहमियत रखती है। माना जा रहा है कि इस पॉलिसी से भारतीय प्रोफेशनल्स को H1B वीजा मिलने में परेशानी आ सकती है।

वीजा पॉलिसी पर ट्रंप का स्टैंड

दरअसल, दुनिया के कई देशों के लोगों एक अच्छी नौकरी और बेहतर अवसर पाने के लिए अमेरिका में अपना भविष्य तलाशते हैं। यहां पर हजारों-लाखों की संख्या में लोग अपने करियर सेटल करने के लिए पहुंचते हैं। अमेरिकी पहुंचने के लिए लोगों को H1B वीजा होने जरूरी होता है। अमेरिका में ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में H1B वीजा के नियमों में बदलाव किया था। हालांकि, इसके बाद आए नए नियमों के तहत विदेश मेंं कर्माचारियों की सैलेरी में तो कोई बदलाव नहीं किया गया। लेकिन प्रवासी कामगारों पर कई शर्तें लागू कर दी गई। ट्रंप सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में वीजा के नए नियमों में H1B वीजा के रिजेक्शन रेट को बढ़ा दिया था। इसके बाद वीजा प्रोसेसिंग का वेटिंग टाइम भी बढ़ गया था।

भारतीय वर्कर्स की बढ़ेगी मुश्किलें!

फिलहाल, अमेरिका में काम कर रहे विदेशी कामगारों में से भारत की आबादी सर्वाधिक है। बता दें, अमेरिका में लगभग 51 लाख भारतीय प्रवासी रह रहे हैं। पिछले साल करीब 3.86 लाख प्रवासियों को H1B वीजा मिला था। इनमें से 2.79 लाख लोग भारतीय थे। इससे पहले अमेरिका में साल 2021 में 16 साल और उससे अधिक आयु के 72% लोग भारतीय प्रवासी थे। हालंकि, अब ट्रंप ने राष्ट्रपति पति चुनाव में जीत हासिल कर ली है। ऐसे में H1B वीजा को लेकर ट्रंप का क्या रुख होगा। इस पर से जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी। हालांकि, उनके इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीय लोगों पर पड़ सकता है। बता दें, अमेरिका के आईटी सेक्टर्स, फाइनेंस समेत अन्य प्रोफेशन में भारतीय मूल के लोग काम कर रहे हैं। अमेरिका में नौकरी के लिए उन्हें H1B वीजा की आवश्यकता पड़ती है। 

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