Coronavirus: जानिए किस तरह पता लगाया जाता है कि आप COVID-19 से संक्रमित है या नहीं?
Coronavirus: जानिए किस तरह पता लगाया जाता है कि आप COVID-19 से संक्रमित है या नहीं?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के वुहान शहर में COVID-19 का पहला मामला 31 दिसंबर 2019 को सामने आया था। जबकि भारत में इस वायरस से संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल में देखा गया था। इससे बाद से करोनावायरस से संक्रमित होने वालो की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। वायरस के नए होने के चलते इसे टेस्ट करने की फैसिलिटी हर शहर में नहीं है। ऐसे में अन्य शहरों में सैंपलों को भिजवाकर इसका टेस्ट किया जा रहा है। आइए आपको बताते हैं कोरोनावायरस का टेस्ट किस तरह किया जाता है:
कलेक्शन एंड ट्रांसपोर्ट
कोरोनावायरस के टेस्ट के लिए सैंपल, नेजल कैविटी और गले के पीछे (ग्रसनी) से लिया जाता है और इसे "वायरस ट्रांसपोर्ट मीडियम" में रखा जाता है। इस मीडियम में वायरस को विघटित होने से रोकने के लिए बैलेंस्ड सॉल्ट और एल्ब्यूमिन होता है। सैंपल को फिर टेस्टिंग लैब में कोल्ड स्टोरेज में ले जाया जाता है।
वायरल RNA का एक्सट्रैक्शन
SARS-COV (जो 2002-03 में चीन में उभरा), MERS-CoV (जो 2012 में सऊदी अरब में दिखाई दिया), या वर्तमान का SARS-CoV-2 (COVID-19) में सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए जीनोम होता है। टेस्टिंग लैब सैंपल से आरएनए को निकालती है। इसके लिए कमर्शियल रूप से उपलब्ध किट का उपयोग किया जाता है।
पीसीआर मिक्स में RNA डालना
निकाले गए आरएनए को पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) मिक्स में मिलाया जाता है। इसमें "मास्टर मिक्स" भी शामिल है, जिसमें "रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस’ एंजाइम होता है जो आरएनए को डीएनए में बदलता है। मास्टर मिक्स में टैक पोलीमरेज़ भी होता है। एक एंजाइम जो डीएनए, न्यूक्लियोटाइड्स और मैग्नीशियम (एक आयन जिसकी जरुरत डीएनए को एंप्लीफाय करने के लिए होती है) जैसे अन्य तत्वों की कॉपी बनाता है।
पीसीआर मिक्स में "प्राइमर" और "प्रोब्स" जैसे "रिएजेंट" भी होते हैं। प्राइमर विशेष रूप से डीएनए के स्ट्रैंड होते हैं जो कॉपी किए जाने वाले डीएनए के साथ बाइंड के लिए डिज़ाइन होते हैं। जबकि डीएनए सैंपल में विशिष्ट अनुक्रम का पता लगाने के लिए प्रोब्स का उपयोग किया जाता है। WHO ने COVID-19 के परीक्षण के लिए विशिष्ट प्राइमरों और प्रोब्स को रिकमेंड किया है।
वायरल डीएनए का एम्प्लीफिकेशन
अपने पीसीआर मिक्स में सैंपलों को ट्यूबों या प्लेटों में डाला जाता है। इसके बाद इसे एक थर्मल साइक्लर मशीन में डाल दिया जाता है जिसका उपयोग PCR प्रोसेस को पूरा करने के लिए किया जाता है। सबसे पहले, आरएनए को डीएनए में बदला जाता है। फिर जीन को कॉपी करने की प्रक्रिया शुरू होती है। थर्मल साइक्लर डीएनए को मेल्ट करके दो स्ट्रैंड में अलग करने के लिए सैंपल के साथ मिक्स को गर्म और ठंडा करता है। थर्मल साइक्लर 30-40 ऐसे चक्र चलाता है ताकि वायरस की जांच के लिए डीएनए को एंप्लीफाय किया जा सके।
पॉजिटिव और नेगेटिव कंट्रोंल के खिलाफ टेस्टिंग
एमप्लीफाइड डीएनए का टेस्ट एक पॉजिटिव और नेगेटिव कंट्रोल के खिलाफ किया जाता है। पॉजिटिव कंट्रोल में आमतौर पर क्लोन किए गए वायरस के जीन होते हैं, जबकि नेगेटिव कंट्रोल एक ’ज्ञात’ सैंपल होता है जो पहले ही वायरस के लिए टेस्ट में नेगेटिव पाया गया है। RNase P पॉजिटिव कंट्रोल के लिए पॉजिटिव और नेगेटिव कंट्रोल के लिए नेगेटिव होना चाहिए। इसके बाद आपको नमूने का जो भी रिजल्ट मिलेगा वो सही होगा।
हालांकि रिजल्ट रिलीज होने से पहले कुछ "वैधता मानदंड" का पूरा होना आवश्यक है। यदि हाउसकीपिंग जीन (RNase P) पॉजिटिव है, पॉजिटिव कंट्रोल पॉजिटिव है, नेगेटिव कंट्रोल नेगेटिव है, और सैंपल में कोई PCR पॉजिटिव रिजल्ट नहीं दिखा है, तो कोरोना वायरस के लिए सैंपल को नेगेटिव घोषित किया जाता है। अगर PCR रिजल्ट पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि मरीज कोरोनावायरस से संक्रमित है।